
कानपुर में चकेरी गांव निवासी किसान बाबू सिंह की जेब से मिले सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट के लिए एक माह इंतजार करना पड़ेगा। आरोपी डॉ. प्रियरंजन के परिजनों की लगातार की जा रही मांग के बावजूद पुलिस ने 50 दिन बाद से जांच के लिए भेजा है।
डॉ. प्रियरंजन के परिजनों का आरोप है कि बाबूसिंह पढ़े लिखे नहीं थे। मुश्किल से हस्ताक्षर बना पाते थे। वहीं, जेब में पत्र पड़ा होने के बावजूद उसपर खून के छींटे नहीं थे। पेन की लिखावट अलग अलग है। यह सब बिंदु पत्र पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं।
चकेरी गांव निवासी किसान बाबू सिंह का शव नौ सितंबर को घर के पास स्थित रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला था। बाबू सिंह की पत्नी बिटान देवी की तहरीर पर डॉ प्रियरंजन, बाबू सिंह के भतीजे जितेंद्र, बबलू यादव, राहुल जैन, मधुर पांडेय व शिवम सिंह पर चकेरी थाने में धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने और आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था।
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