
मध्य प्रदेश की सियासत में नदियों का कितना रोल है इसका अंदाज यहां बहने वाली नर्मदा और उसके मुद्दों से समझ सकते हैं। इस चुनाव में नर्मदा नदी के किनारे बसे हुए शहर के लोगों ने इसका मुद्दा प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है। लोगों की मांग है कि नर्मदा में शहरों के सीवर का पानी लगातार गिर रहा है, लेकिन किसी भी स्थानीय नेता और राजनीतिक दलों ने आज तक इस संबंध में कोई भी आवाज बुलंद नहीं की है। अमर उजाला डॉट कॉम से नर्मदा नदी के तट पर होने वाली ‘आरती महासंघ’ और स्थानीय लोगों ने मैली हो रही नर्मदा के जिम्मेदारों पर जमकर भड़ास निकली। लोगों ने बताया कि नर्मदा नदी को लेकर राजनीतिक पार्टी और नेताओं का रवैया शून्य है। हालांकि, इस बार स्थानीय लोगों ने खास तौर से नर्मदा नदी के प्रति आस्था रखने वालों ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है।
मैली हो रही नर्मदा को लेकर लोगों में नाराजगी
मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित तिलवारा घाट में लोगों को मैली हो रही नर्मदा लेकर जिम्मेदारों के प्रति जबरदस्त नाराजगी देखी। तिलवारा घाट पर होने वाली आरती करने वाले पुजारी के समूह के संयोजक राहुल तिवारी कहते हैं नर्मदा के इस घाट को किसी भी नेता ने आज तक गंभीरता से नहीं लिया। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश की जीवनदायनी इस नर्मदा नदी में शहर का सीवर गिरता है, लेकिन किसी भी नेता ने आज तक यह जहमत नहीं उठाई की इसके लिए कुछ किया जाए। राहुल कहते हैं कि यह तो नर्मदा के पानी की तेज रफ्तार के चलते सारी गंदगी तो बह जाती है, लेकिन नदी होती तो अपवित्र ही है।
गंदगी कोई चुनावी मुद्दा नहीं
स्थानीय निवासी और दिवस समुदाय के युवा नेता अजय केवट कहते हैं कि स्थानीय नेताओं और पार्टियों को लगता है कि नर्मदा नदी में बहने वाली गंदगी कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। पर हकीकत यही है नर्मदा नदी के तटों पर बसे हुए शहरों के लोगों के लिए यह बहुत बड़ा मुद्दा है। अजय कहते हैं कि उनके समुदाय के लोगों ने लगातार नदियों में गंदगी को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दलों के सामने अपनी बात रखी है। लेकिन आज तक कभी भी इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया है। उनका कहना है कि नर्मदा नदी को लेकर की जाने वाले वाली बेरुखी पर इस विधानसभा के चुनाव में कई सीटों के नतीजे तक बदले जा सकते हैं।
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