
रामगढ़ की भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले ग्रामीण बुधवार रात गोलियों की तड़तड़ाहट से सहम गए। गोलियों की आवाज सुनकर आनन-फानन में कोई स्टोर रूम की ओर भागा, तो कोई बंकरों में जा छिपा।
स्थानीय लोगों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रेंजरों की अकारण गोलीबारी की आपबीती सुनाई। स्थानीय बाबू लाल ने कहा वह बच्चों को लेकर स्टोर रूम की ओर भागे। गोलीबारी बंद होने पर भी सुबह तक वहीं रहे। ग्रामीणों ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजने में भी सहमे रहे। फिर भी बच्चों को पास के गांवों में ले गए, वहां से स्कूल भेजा।
गोलीबारी रात में शुरू हुई। सुबह करीब 4 बजे पता चला कि गोलीबारी बंद हो गई है। हम अपने बच्चों के साथ स्टोर रूम में रात भर जमीन पर लेटे रहे। दग निवासी ओम प्रकाश, भगवान चौधरी, सुखदेव, आदि के अनुसार रात को गोलीबारी होने से वह अपने परिजनों के साथ कमरों में ही दुबके रहे। क्योंकि, उनके गांव में बंकर ही नहीं हैं।
वहीं, मोहन सिंह, गुरदियाल ने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए बस उनके गांव में आती थी। लेकिन, आज स्कूल प्रबंधन ने कहा कि स्कूल की बस नहीं आएगी। इस कारण उन्होंने पिछले गांव में पहुंच कर बच्चों को स्कूल भेजा। ग्रामीणों ने बताया की बीएसएफ जवानों और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच भारी गोलीबारी हुई।
लोग घबरा गए, क्योंकि पाकिस्तानी बलों ने बिना उकसावे के गोलीबारी की। लोग घरों में ही दुबके रहे। उन्होंने बताया कि यह 5 साल बाद सीमा पर गोलीबारी हुई है। उधर, बीएसएफ प्रवक्ता के एक बयान में बीएसएफ ने स्पष्ट किया कि 8-9 नवंबर की रात के दौरान पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा अकारण गोलीबारी के बाद रामगढ़ सेक्टर में तैनात उनके जवानों ने उचित जवाब दिया।
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