
रोशनी का महापर्व दीपावली रविवार को धूमधाम से मनाई जाएगी। शहर दीपों से जगमगा उठेगा। श्रद्धालु विधि-विधान से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर प्रसन्न करेंगे। मान्यता के अनुसार, दीपावली के दिन महालक्ष्मी के साथ-साथ महासरस्वती और महाकाली की भी पूजा की जाती है।
व्यवसायी दीपावली से नववर्ष का आरंभ मानते हैं, इसलिए इस दिन नए बही खातों का पूजन, तुला (तराजू) तिजोरी, व्यवसाय स्थान पर प्रयुक्त मशीनरी आदि का पूजन किया जाता है। वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन शाम पांच बजकर 26 मिनट के बाद प्रदोष है। ऐसे में दीपावली पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। इस दीपावली स्वाती नक्षत्र, आयुष्मान योग, तुला राशिस्थ चंद्रमा और अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से इस बार की दीपावली बहुत शुभ होगी।
पूजन और मुहूर्त
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, प्रदोष काल शाम पांच बजकर 26 मिनट से आठ बजकर दो मिनट तक प्रदोष काल व्याप्त रहेगा। प्रदोष काल में चर की चौघड़िया शुभ है। इसमें मेष और वृषभ लग्न भी रहेगा। इन दोनों लग्नों और प्रदोष समय में श्रीगणेश पूजन, लक्ष्मी पूजन इत्यादि संपन्न करना और दीपदान, कुबेर पूजन, बही खाता पूजन, घर, धर्म स्थलों पर दीप प्रज्ज्वलित करना, ब्राह्मणों और अपने आश्रितों को भेंट, मिष्ठान बांटना शुभ रहेगा। इसी तरह निशीथ काल आठ बजकर तीन मिनट से 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इसमें वृषभ लग्न, मिथुन लग्न और लाभ की चौघड़िया रहेगी। इसमें यदि पहले लक्ष्मी पूजन न हुआ हो तो श्रीगणेश और महालक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। इस अवधि में श्रीसूक्त, कनकधारा स्त्रोत्र और लक्ष्मी मंत्र का जप, पाठ उत्तम रहेगा। महानिशीथ काल रात 10 बजकर 59 मिनट से रात्रि एक बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में अमृत की चौघड़िया और कर्क लग्न व सिंह लग्न भी अत्यंत शुभ है। इस अवधि में महालक्ष्मी पूजन के अतिरिक्त काली उपासना, तंत्रादि क्रियाएं आदि उत्तम रहेगा।
दीपावली के दिन करें ये कार्य
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, इस दिन सुबह उठकर स्नानादि के बाद पितृगण और देवताओं का पूजन करें। यदि संभव हो तो दूध, दही और घृत से पितरों का श्राद्ध करें। दिनभर उपवास रखकर या फलाहार ग्रहण करके गोधूलि बेला में श्रीगणेश, कलश, षोडश मातृका व ग्रह पूजन कर भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें। इसके बाद महाकाली, महासरस्वती और धन के देवता कुबेर की विधिवत पूजन करें। इसी समय दीपदान कर यमराज और पितृगणों के निमित्त ससंकल्प दीपदान करना चाहिए।
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