
दिवाली पर आतिशबाजी, आग की घटनाओं और पाक गोलाबारी की आशंका को देखते जिले के अस्पतालों को अलर्ट पर रखा है। खासतौर पर सीमांत इलाकों में चिकित्सा केंद्रों में अतिरिक्त आपात सेवाएं मजबूत बनाने का दावा है। छह सीमांत ब्लॉकों में अतिरिक्त स्टाफ के साथ सामान्य और मोबाइल चिकित्सा टीमें तैनात रहेंगी। जीएमसी में टीमों के साथ आपात स्थिति से निपटने के लिए कई वार्ड तैयार रखे हैं।
हर साल आतिशबाजी के कारण बड़ी संख्या में लोग झुलस कर अस्पतालों में पहुंचते हैं। जीएमसी के इमरजेंसी ब्लॉक में रूम सात के अलावा 36 आपात और 20 डिजास्टर बिस्तर स्थापित किए हैं। बड़ी घटना की सूरत में अन्य वार्डों को स्टैंडबाय रखा है। सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध करवाने का दावा है। इसके साथ वर्न वार्ड तैयार है। इसी तरह बिश्नाह, आरएस पुरा, सुआजना, पलांवाला, अखनूर, मढ़ ब्लॉक में अतिरिक्त इंतजाम किए हैं। प्रत्येक ब्लॉक में दो से तीन मोबाइल टीमों का गठन किया है।
दिवाली से ठीक पहले हुई बारिश से आतिशबाजी के प्रदूषण से काफी हद तक निजात मिलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार वातावरण में धूल के कण बैठ गए हैं। हालांकि आतिशबाजी के बजाय ग्रीन आतिशबाजी कर वातावरण को स्वच्छ बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
आतिशबाजी के प्रदूषण में आरएसपीएम-10 नुकसानदायक है। इससे एलर्जी और सांस संबंधी समस्या होती है। पिछले पांच साल से दिवाली के बाद जम्मू में पीएम-10 सौ से ऊपर आ रहा है, जो मध्यम प्रदूषित श्रेणी में है। मौसम विशेषज्ञ यशपाल शर्मा के अनुसार ग्रीन आतिशबाजी से वातावरण में जहरीले केमिकल नहीं फैलते हैं।
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