
छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को महिलाओं ने दिनभर खरना का निर्जल व्रत रखा। सूर्यास्त होने पर पूजा-अर्चना के बाद व्रती महिलाओं ने रसियाव और रोटी ग्रहण किया और छठी मइया से कुल-परिवार बढ़ने की अरज की। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जल उपवास भी शुरू हो गया। रविवार को व्रती महिलाएं अस्तांचलगामी और सोमवार को उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करेंगी।
शनिवार को दिनभर निर्जल उपवास रखने के बाद शाम को व्रतियों ने चूल्हे को स्थापित किया। अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से इसकी पूजा की। प्रसाद के लिए रखे आटे से रोटी और साठी के चावल की खीर बनाई। इसे रसियाव रोटी भी कहते हैं। वहीं पर खरना अनुष्ठान किया। शनिवार को छठ घाटों पर पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चलती रही।
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, रविवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन है। इस दिन पंचमी तिथि सुबह आठ बजकर 15 मिनट तक, पश्चात षष्ठी तिथि है। इस दिन मूल नक्षत्र दिन में 10 बजकर 34 मिनट तक पश्चिम पूर्वाषाढ़, सुकर्मा और सिद्धि नामक औदायिक योग है। इस दिन श्रद्धालु दिनभर व्रत रखेंगी। शाम को अस्तांचलगामी सूर्य को तालाब या नदी में खड़ी होकर व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी। अर्घ्य, दूध और जल से दिया जाएगा। अर्घ्य देने के बाद सूपों में रखा सामान भगवान सूर्य और माता षष्ठी देवी को अर्पित किया जाएगा।
कल दिया जाएगा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य
छठ माता की प्रतिमाएं स्थापित
महानगर में बने अस्थायी घाट
पूजन सामग्री खरीदने के लिए बाजारों में उमड़ी भीड़
अर्घ्य मुहूर्त
बोले श्रद्धालु
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