
काबुल को अपने कब्जे में करने के बाद तालिबान ने अब धीरे-धीरे सरकारी दफ्तरों के साथ निजी संस्थानों को निशाना बनाना भी शुरू कर दिया है। न्यूज चैनलों में अब महिला एंकरों को बैन कर दिया गया है। इसकी जगह तालिबान ने अब अपने लोगों को प्रेजेंटर की जिम्मेदारी सौंपी है। नौकरी से निकाले जाने के बाद एक अफगान न्यूज एंकर खदीजा अमीना ने कहा, ‘मैं अब क्या करूंगी, अगली पीढ़ी के पास कोई काम नहीं होगा। 20 साल में जो कुछ भी हासिल किया है वह सब चला जाएगा। तालिबान तालिबान है, वे नहीं बदले हैं।
बामियान में फिर दोहराई मूर्ति गिराने की घटना:
इतना ही नहीं तालिबान के लड़ाकों ने पहले की तरह अल्पसंख्यकों के प्रतीकों और चिह्नों को भी हटाना जारी रखा है। जहां 20 साल पहले तालिबान के कट्टरपंथियों ने बामियान में बुद्ध की मूर्ति को विस्फोटकों से उड़ा दिया था, वहीं इस बार संगठन के लड़ाकों ने हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की बामियान में लगी मूर्ति को गिरा दिया है। बता दें कि मजारी की 1995 में तालिबान से जंग के दौरान मौत हो गई थी।
बता दें कि हजारा मुख्य तौर पर शिया मुस्लिम होते हैं, जिन पर सुन्नी मुस्लिमों का हमला जारी रहा है। हालांकि, अब्दुल अली मजारी तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल थे और तालिबान ने उनकी बढ़ती लोकप्रियता के चलते ही उन्हें अगवा कर उनकी हत्या कर दी थी।
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