
पहाड़ों के जीवन पर फिदा होकर सुबोध ने रच दिए कीर्तिमान लद्दाख की 6200 मीटर पर हासिल की फतेह
इससे पहले कई चोटियों पर चढ़ने का है कीर्तिमानअब वेब पोर्टल पर पहाड़ों के अनुभव को करेंगे संकलित
औरैया
जिसने अंधकार मुसीबत और खुद से जंग जीती सूर्य बनकर वही निकलता है। किसी शायर की इन पंक्तियों को पर्वतारोही सुबोध ने बखूबी चरितार्थ करके दिखाया है। सुबोध ने हाल ही में लद्धाख की 6200 मीटर चोटी पर फतेह हासिल की है। इसके अलावा हिमाचल में स्थित माउंट फ्रेंडशिप चोटी जिसकी ऊंचाई 5289 मीटर है पर फतह हासिल की है। इसके अतिरिक्त उसके नाम कई उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज हैं।
31 वर्षीय सुबोध भदौरिया ग्राम सिखु बेल्हूपुर, औरैया के रहने वाले हैं। अब वह वर्तमान में विकास कुंज, दिबियापुर में रहते हैं। सुबोध 2014 में केनरा बैंक की सरकारी सेवा में बतौर ट्रेजरी ऑफिसर ज्वाइन किया। इसी दौरान एक टूर्नामेंट की तैयारी के लिए खिलाड़ियों की फिटनेस ट्रेनिंग ड्रिल के लिए सुबोध को पहाड़ियों पर एक ट्रेक के लिए जाना पड़ा। सुबोध को यह अनुभव इतना पसंद आया कि उन्होंने पहाड़ों पर जीवन के ऊपर एक कविता की रचना भी की। “पहाड़ों के दिन” नामक उनकी हिंदी कविता सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई। यहीं से उन्हें पहाड़ो के जीवन और पहाड़ से लगाव हुआ और उनके जीवन में एक अध्याय और जुड़ गया। उन्होंने पर्वतारोहण जैसे दुष्कर ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने की ठानी। जवाहर माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, पहलगांव से बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स करने के बाद उन्होंने एडवांस ट्रेनिंग के लिए हिमालयन इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया। सुबोध अब तक बतौर एक प्रशिक्षित पर्वतारोही, कई पर्वतों की चोटियों की चढ़ाई कर चुके हैं जिनमें बी सी रॉय पीक सिक्किम (18000 फीट), स्टोक कांगड़ी लद्दाख (6153 मीटर/ 20187 फीट), फ्रेंडशिप पीक (5289 मीटर/17350 फीट), कांग यास्ते 2 लद्दाख (6180 मीटर/20200 फीट), डीजेओ जोंगो लद्दाख (6200 मीटर/ 20300 फीट) आदि प्रमुख हैं। पहाड़ों पर उन्होने कई कविताएं भी लिखी हैं ।उनकी कई रचनाएं सारेगामा के ऑडियो चैनल पर भी उपलब्ध हैं। सुबोध पहाड़ों पर उनके अनुभवों को एक वेब पोर्टल पर संकलित करने जा रहे हैं।
बहन और मित्र ने उनका बढ़ाया हौसला। सुबोध का शौक सामान्य परिवार के लिए अजीबो गरीब था। पिता के निधन के बाद मां ने लालन पालन किया। बैंक में नौकरी के बाद अब खुश थे। जब इस शौक को बताया तो बहन संगीत,नीरजा श्वेता दीपा और ज्योति नेहौसला बढ़ाया और आर्थिक सहयोग भी दिया। सुबोध बताते हैं कि उनके मित्र मोहित तिवारी ने भी उनका कदम कदम पर साथ दिया है। वह जून 2022 में माउंट नन (7135 मीटर,/23409 फ़ीट)जास्कर रेंज की ऊंची चोटी पर फतेह करेंगे)। जीवन में जीने का एक नया अंदाज मिला सुबोध बताते हैं कि नौकरी करते और रोज मर्रा की जिंदगी से कभी कभी तनाव आता है। अचानक पर्वतारोही बनने की ललक ने उन्हें नई ऊर्जा दी और पहाड़ो का जा अनुभव हुआ वह जीने का एक नया अंदाज दे गया माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तमन्ना सुबोध बताते हैं कि कई चोटियों में चढ़ने के बाद अब माउंट एवरेस्ट चढ़ने की तमन्ना है। इसके लिए सरकार से भी अनुमति मांगी है।
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