
मुंहमांगी रकम न देने पर खाद्य न होने की बात कहकर किसानों को कर दिया जाता है चलता।
गोंडा
साधन सहकारी समितियों पर यूरिया की किल्लत का फायदा प्राइवेट दुकानदार उठा रहे हैं। कालाबाजारी का आलम यह है कि उर्वरक विक्रेता अन्नदाताओं से एक बोरी यूरिया का मूल्य 400 रुपये तक वसूल रहे हैं। वहीं एक तरफ सरकार किसान हितैषी होने का दावा कर रही है। जबकि हकीकत ठीक इसके उलट है। हाल यह है कि खरीफ की फसल में ड्रेसिग के समय यूरिया के लिए मारामारी मची हुई है। दावे के विपरीत जरूरत के समय समितियों से खाद नदारद है और अधिकांश केंद्रों पर ताले लटक रहे हैं। ऐसे में निजी दुकानदार किसानों की मजबूरी का भरपूर फायदा उठाने में जुटे हुए है। प्रशासनिक अफसरों द्वारा की जा रही तमाम कार्रवाई से बेखौफ दुकानदार हेराफेरी कर यूरिया की निर्धारित मूल्य से अधिक दाम वसूल रहे हैं। यही नहीं दुकानदारों की मनमानी का आलम यह है कि मुंहमांगी रकम न देने पर खाद न होने की बात कहकर किसानों को चलता कर दिया जा रहा है। उर्वरक व्यवसायी अफसरों की आंख में धूल झोंकते हुए यूरिया गोदामों में डंप कर मुनाफाखोरी का खेल खेल रहे हैं। सबकुछ जानते हुए भी विभागीय जिम्मेदार असहाय नजर आ रहे हैं।पूरा मामला जनपद गोंडा तहसील मनकापुर बभनजोत ब्लाक के ग्राम पंचायत बनगवा बाजार में एक दुकानदार है जो दिलीप गुप्ता के नाम से जाना जाता है वो खुले आम युरिया खाद्य की काला बाजारी कर रहा है।खाद्य के लिए दर दर भटक रहे किसानों को इसका शिकार होना पड़ता है।
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