April 25, 2024

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भरोसा बढ़ा तो आय बढ़ी, शेयर और बैंकिंग बाजार में उत्तर प्रदेश की धमक

केवल उद्योगों में नहीं बल्कि शेयर बाजार और बैंकिंग में भी उत्तर प्रदेश की धमक पिछले सात साल में जबरदस्त बढ़ी है। पहले इस सेक्टर में यूपी टॉप-20 में भी नहीं था। आज निवेशकों की संख्या के मामले में यूपी महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे नंबर पर है। डिजिटल लेनदेन दस गुना से भी ज्यादा हो गया है। बैंकों का विस्तार हुआ, लोन दोगुना हो गया। इसकी प्रमुख वजह यूपी की बदली छवि, रोजगार बढ़ने से युवाओं के पलायन में कमी, गांव-गांव का बैंकिंग नेटवर्क से जुड़ना, वित्तीय जागरुकता अभियान, प्रदेश में लोगों की आय में बढ़ोतरी और युवा व महिलाओं को स्वरोजगार के लिए चलाए गए अभियान हैं। हालांकि इस दिशा में कुछ चुनौतियां भी हैं। डिजिटल बैंकिंग के साथ साइबर फ्राड रोकना, बैंकों द्वारा किसानों और शिक्षा ऋण में कंजूसी बरतना और वसूली के तरीकों से जुड़ी शिकायतें भी हैं।

निवेशकों के मामले में यूपी देश में दूसरे नंबर पर, गुजरात भी पीछे

शेयर, म्यूचुअल फंड और बैंकों में पैसा बढ़ने का सीधा संकेत लोगों की समृद्धि है। वर्ष 2017 में शेयर बाजार में यूपी के केवल 22.20 लाख निवेशक थे। आज ये संख्या 1.76 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। इसी के साथ यूपी देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। पहले स्थान पर 3.15 करोड़ निवेशकों के साथ महाराष्ट्र है। खास बात ये है कि सात साल पहले दूसरे नंबर पर गुजरात था, वो आज तीसरे नंबर पर है। राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य यूपी से बहुत नीचे हैं, जबकि सात साल पहले ये सभी राज्य यूपी से ऊपर थे।

 

यूपी के लोगों की संपत्ति हुई 22.41 लाख करोड़

शेयर बाजार में यूपी के निवेशकों का दबदबा है। यूपी वालों के डीमैट खातों में 22.41 लाख करोड़ के शेयर जमा हैं, जबकि सात साल पहले करीब 6 लाख करोड़ के शेयर थे। यही नहीं युवाओं को फाइनेंशियल टूल से लैस करने का असर भी दिखने लगा है। पहले म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले शीर्ष 100 शहरों में यूपी के केवल दो शहर थे, आज इनकी संख्या 11 हो गई है। इनमें लखनऊ और कानपुर टॉप-20 में शुमार हैं। वाराणसी, आगरा, प्रयागराज, मेरठ के साथ गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़ और झांसी ने भी इस सूची में अब जगह बना ली है।

आयकर रिटर्न फाइल करने में बना देश का दूसरा राज्य

आयकर रिटर्न फाइल करने की संख्या के पैमाने पर उत्तर प्रदेश, देश में दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। जून 2014 में 1.65 लाख आयकर रिटर्न उत्तर प्रदेश से फाइल होते थे। जून 2023 में बढ़कर 11.92 लाख आईटीआर आए। मौजूदा मार्च महीना खत्म होने तक ये संख्या 16 लाख से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इतना ही नहीं, शेयर बाजार में यूपी की महिलाओं की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ी है। वर्ष 2017 में इनकी भागीदारी 15.20 फीसदी थी। दिसंबर में ये हिस्सेदारी 20.90 फीसदी हो गई।

 

ऐसे सुधरती गई वित्तीय स्थिति

– वर्ष 2016-17 में बैंकों ने प्रदेश में कुल 1.37 लाख करोड़ का ऋण दिया था।
– वर्ष 2022-23 में कुल तीन लाख करोड़ का ऋण दिया गया, दिसंबर-2023 तक 2.98 लाख करोड़ का ऋण दिया जा चुका है।

डिजिटल लेनदेन भी सात गुना तक पहुंचा

यूपी ने डिजिटल लेनदेन में सबसे तेज तरक्की की है। वर्ष 2018 में जहां 161 करोड़ डिजिटल लेनदेन किए गए थे। वर्ष 22.23 में ये संख्या 1174 करोड़ से अधिक हो गई।

वर्ष डिजिटल लेनदेन की संख्या — वृद्धि दर

18-19 161.69 करोड़— 31.63 फीसदी
19-20 189.07 करोड़— 16.93 फीसदी
20-21 391.02 करोड़— 106.81 फीसदी
21-22 426.68 करोड़— 09.11 फीसदी
22-23 1174.32 करोड़— 175 फीसदी
23-24 640.57 करोड़
 (23-24 के आंकड़े दिसंबर तक)

केश्री वेल्थ क्यूरेटर के को फाउंडर राजीव सिंह का कहना है, ‘निवेशकों के साथ-साथ लोगों का यूपी में भरोसा बढ़ा है। तभी फाइनेंस को लेकर जागरुकता भी तेजी से बढ़ी है। प्रदेश के एक-एक जिले में डीमैट सेंटरों और म्यूचुअल फंड कंपनियों की पहुंच हो गई है। लोगों की आय के स्रोत बढ़े हैं। अनुमान है कि इस वर्ष के अंत तक म्यूचुअल फंड में यूपी का निवेश 2.84 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। वर्ष 2027 तक ये पांच लाख करोड़ और 2031 तक 11 लाख करोड़ पार कर जाएगा। साफ है कि दस खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में यूपी की रफ्तार बरकरार है।

लेकिन ये चुनौतियां भी

– पिछले सात साल में बैंकिंग कारोबार 12.80 लाख करोड़ से 26.66 लाख करोड़ पहुंच गया है, लेकिन एजुकेशन लोन देने में बैंक कंजूसी बरत रहे हैं।
– शिक्षा लोन में बैंकों की कंजूसी। शिक्षा-गृह व अन्य लोन का लक्ष्य 35 हजार करोड़ है, लेकिन दिसंबर तक दिए गए 11 हजार करोड़।
– कुल लोन में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 22.48 फीसदी, इसे ज्यादा करने की जरूरत है।
– जिन जिलों में ऋण-जमा अनुपात 40 फीसदी से कम है, उनके लिए अलग से कार्ययोजना बनाए जाने की जरूरत।
– प्रदेश के बैंकों में 11.98 लाख के रिकवरी सर्टिफिकेट फंसे हैं।
– सरफेसी एक्ट के तहत 6700 से ज्यादा मामले सालों से फंसे हैं।

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