
महराजगंज के परतावल में एक दिवंगत व्यापारी 11 माह से कारोबार कर रहा था। अपनी फर्म से 13 ई वे बिल के माध्यम से 11.73 लाख रुपये की खरीदारी की है। जीएसटी की टीम ने जांच में कर चोरी और गलत तरीके से संचालन को पकड़ा है। यही नहीं, दिवंगत की पत्नी के नाम से भी फर्म संचालित की जा रही थी। इसके स्टॉक में गड़बड़ी मिलने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
वस्तु एवं सेवा कर की एसआईबी की टीम को सूचना मिली थी कि महाराजगंज के परतावल में एक कपड़े की दुकान में बड़े पैमाने पर कर चोरी की जा रही है। पिछले छह माह में जीएसटी की टीम त्योहार और अन्य मौकों पर उक्त दुकान पर रेकी कर सुबूत जुटा रही थी।
डिप्टी कमिश्नर सुनील वर्मा के नेतृत्व में सोमवार को दुकान की जांच की गई तो पता चला कि दुकान का पंजीकरण प्रोपराइटर शमशुल हक के नाम पर था। हक का निधन मार्च 2022 में हो गया है, लेकिन परिवार की तरफ से इस संबंध में कोई विधिक कार्रवाई नहीं की गई।
मसलन फर्म का नाम, प्रोपराइटर का नाम, खाता संख्या आदि नहीं बदला गया। पुराने नाम-पते और खाता संख्या पर व्यापार जारी रहा। फर्म ने गोरखपुर के अलावा लखनऊ और कानपुर के व्यापारियों से थोक में कपड़े बुक करके ई वे बिल जारी किए हैं।
वहीं, इसी जगह पर एक दूसरा प्रतिष्ठान भी मिला। शमशुल हक की पत्नी नाजरा खातून के नाम से दूसरी फर्म संचालित की जा रही थी। इस फर्म में जांच के दौरान बिक्री के साथ स्टॉक दुकान में रखे जाने का भौतिक साक्ष्य मौजूद नहीं था। जीएसटी ने इस फर्म पर 5 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है।
कार्रवाई के समय लेनी पड़ी जिला प्रशासन की मदद
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