
गांव में मैं स्वयं के खर्चे से श्री राम मंदिर निर्माण करवाऊंगा सभी का सहयोग चाहिए -योगेश्वर दास
पंचनद धाम औरैया
जनपद के बीहड़ी क्षेत्र पांच नदियों यमुना, चंबल, सिंध, पहूज और कुंवारी के पवित्र संगम पंचनद धाम पर औरैया और जालौन जनपद की सीमा पर स्थित ग्राम बरबटपुर में विगत दो दिनों से श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ का आयोजन चल रहा है जो गांव के ही निवासी गिरीश चंद्र दुबे और वर्तमान में महंत योगेश्वर दास श्री राम मंदिर सीताराम गौशाला सूरत करवा रहे हैं।
बताते चलें कि आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व गिरीश चंद दुबे ने अपना घर त्याग दिया था और तभी से वह अज्ञातवास में चले गए जिसका ग्रामीणों और घर वालों को उनकी कोई जानकारी नहीं मिली लेकिन विगत सप्ताह उन्होंने गांव वालों के बीच आकर गांव में अपनी उपस्थिति योगेश्वर दास के रूप में कर लोगों को अचंभित कर दिया तथा उन्होंने गांव में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह करवाने के लिए मनसा जाहिर की जिस पर ग्रामीणों ने उनका सहयोग किया और आज विगत 3 दिनों से गांव में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का विधिवत आयोजन चल रहा है जिसमें जिसमें कथा का रसपान वृंदावन धाम से पधारे
व्यास जी रघुनाथ दास जी महाराज द्वारा कराया जा रहा है।
ज्ञात हो कि अज्ञातवास के बाद गांव में पधारे महंत योगेश्वर दास जीने कथा मंच के माध्यम से ग्रामीणों से गांव में श्री राम मंदिर बनवाने की इच्छा स्वयं के खर्चे पर करवाने की जाहिर की तथा लोगों का आह्वान किया कि यदि आप सभी का सहयोग मिलेगा और जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी तो उसका मूल्य जमींदार को दिया जाएगा और इसके बाद मंदिर निर्माण का खर्चा भी स्वयं वही उठाएंगे जिसमें सभी ग्रामीणों का सहयोग जरूरी है, इस पर ग्रामीणों एवं क्षेत्र वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई तथा सभी ने एक स्वर में उनका सहयोग करने के लिए तालियां बजाकर उनका समर्थन किया, इस पर खुश होकर के योगेश्वर दास जी ने कहा कि इस भागवत कथा के समापन के उपरांत इस पर विचार कर शीघ्र ही आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी, इसके लिए उन्होंने क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र सिंह सेंगर से भी अपने विचार व्यक्त कर सहयोग करने के लिए आह्वान किया जिस पर श्री सेंगर ने भी अपनी सहमति जताई और कहा कि ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए समाज को हमेशा आगे आना चाहिए क्योंकि इससे सनातन धर्म का प्रचार प्रसार होने के साथ-साथ आत्मीय शांति भी मिलती है जो पंचनद धाम की एकमात्र विशेषता भी है
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