
नया गोरखपुर के लिए जमीन अधिग्रहण पर किसानों से सहमति लेने की प्रक्रिया समाप्त हो गई। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को 24 गांवों का कोई भी किसान जमीन देने को तैयार नहीं है। ग्रामीणों से बातचीत के लिए गए जीडीए के अफसरों, कर्मचारियों को हर गांव से जवाब में ना मिला। हर गांव में जीडीए की टीम को दो बार किसानों से संवाद के लिए जाना था। इनमें से कुछ गांवों में तो दूसरे दौर की बैठक में जीडीए टीम को इंतजार करना पड़ा और कोई किसान ही नहीं आया। अब प्राधिकरण अनिवार्य अधिग्रहण पर मंथन कर रहा है। इस संबंध में शासन से भी मार्गदर्शन मांगा गया है।
जीडीए ने किसानों को सर्किल रेट का चार गुना देने का प्रस्ताव दिया है, जबकि वे वर्तमान बाजार दर के बराबर कीमत मांग रहे हैं। किसानों की दलील है कि 2016 के बाद से जिले में जमीनों का सर्किल रेट नहीं बढ़ा जबकि वर्तमान में बाजार दर कई गुना बढ़ गया है। प्राधिकरण जो मुआवजा दे रहा है वह चार गुना दिए जाने के बाद भी वर्तमान बाजार दर से आधे से भी कम है।
कुसम्ही, जगदीशपुर होते हुए पिपराइच ,टिकरिया-महराजगंज मार्ग पर नया गोरखपुर प्रस्तावित है। दावा किया जा रहा है कि यह सिटी, विकास की राह पर सरपट दौड़ रही सीएम सिटी की नई पहचान होगी। करीब 6 हजार एकड़ में बसाए जा रहे इस शहर में सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। करीब डेढ़ लाख आबादी इसमें बस सकेगी।
यहां होटल, मॉल, मल्टीप्लेक्स, स्कूल, ग्रुप हाउसिंग, रिसॉर्ट, बैंक्वेट हाल, आवासीय कालोनी, बिजनेस हाल, पेट्रोल पंप, अस्पताल जैसी सभी सुविधाएं मौजूद रहेंगी। इसके लिए महायोजना-2031 में प्रावधान भी किया गया है। इसी मुताबिक भू-उपयोग भी तय किया गया है। शहर की बढ़ती आबादी और सिकुड़ते शहर को देखते हुए नया गोरखपुर की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए गोरखपुर-टिकरिया-महराजगंज मार्ग पर करीब 24 गांव को चिह्नित किया गया है। साथ ही पिपराइच एवं कुसम्ही क्षेत्र के करीब 35 गांव भी नया गोरखपुर में शामिल होंगे।
शहर से सटे दौलतपुर के नौ किसानों ने ही दी है सहमति
लोगों ने क्या कहा
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2 thoughts on “हर गांव से किसानों की ना अब अनिवार्य अधिग्रहण पर मंथन”
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