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पीएफ और भूमि घोटाले में कार्रवाई करे प्रशासन : निर्मल
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पीएफ में लिपिक की पत्नी को गिरफ्तार कर बैठ गई पुलिस
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पंतनगर में भूमि घोटाले पर चुप्पी शासन की छवि धूमिल करने की कोशिश
गोंडा।
नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन रूपेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ निर्मल श्रीवास्तव ने कहा कि जिले में नगर पालिका प्रशासन की ओर से किए जा रहे भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जा रहा है जो सही नहीं है। पीएफ घोटाले में सिर्फ लिपिक की पत्नी को गिरफ्तार कर पुलिस बैठ गई है यह सफेदपोश और जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने की साजिश है। इसी तरह पंतनगर में भूमि घोटाले में सहयोग करके नगर पालिका के अधिकारियों ने सौ करोड़ रुपए की सरकारी क्षति की है और बड़े घोटाले को अंजाम दिया है। इस मामले पर अधिकारियों की चुप्पी सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश है। यह बर्दाश्त नहीं है, कार्रवाई न हुई तो मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सच्चाई बताऊँगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर पालिका के कर्मचारियों के पीएफ कटौती का साढ़े तीन करोड़ से अधिक की धनराशि संगठित होकर हड़पा गया है। जिसमें पुलिस जान बूझकर सिर्फ दिखावे के लिए एक लिपिक की पत्नी को गिरफ्तार कर और लोगों को बचा रही है जबकि सीधे तौर पर सभी को पता है कि इसमें ईओ के साथ ही सफेदपोश नेता भी शामिल है। सपा नेता होते हुए भी वह खुद के बचाव के लिए पुलिस की मदद ले रहे हैं। पुलिस को इस मामले में शामिल अन्य लोगों को तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए और ठोस कार्रवाई करना चाहिए। कर्मचारियों की हड़पी गई धनराशि सभी से वसूली की जाए और पीएफ में जमा कराया जाए। सिर्फ बाबू को ही बलि का बकरा बनाकर मामले को दबाने की कोशिश भ्रष्टाचार की जांच में ही एक और भ्रष्टाचार है। मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत पुलिस को कार्य नहीं करना चाहिए। पूर्व चेयरमैन रूपेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ निर्मल श्रीवास्तव ने कहा कि इसी तरह शहर के पंतनगर में लखनऊ मार्ग से सटी भूमि का बैनामा नगर पालिका के ईओ की मिलीभगत से की गई है। जिस भूखंड को सरकारी घोषित करने के लिए पत्र लिखा गया हो उसी का बैनामा होने दिया गया। इस भूमि की यदि नगर पालिका नीलामी करता तो सरकार को सौ करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता। लेकिन भ्रष्टाचार करके भूमि की बिक्री होने दिया गया है। वह भी बैनामा उन लोगों ने किया जिनका भूमि पर अधिकार ही नहीं था। भूमि का पट्टा सात साल पहले समाप्त हो गया और न ही किसी ने पट्टा नवीनीकरण कराने और न ही फ्री होल्ड कराने का दावा किया। इसके बाद नगर पालिका ने उस भूमि को सरकारी कब्जे में लेकर नीलाम करने या फिर किसी योजना के लिए आवंटित करने के लिए पत्र लिखा। इसके एक जन सूचना में गलत तरीके से सूचना उपलब्ध करा दिया। सूचना में भूमि को सरकारी अधिग्रहण में लिए जाने की प्रकिया का जिक्र नहीं किया गया। जिससे भूमि का बैनामा करा दिया गया है और अब शिकायत पर कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इसमें भी बडे़ स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है और अब सभी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। प्रशासन मामले को गंभीरता से ले और तत्काल बैनामा रद्द कर भूमि को सरकारी कब्जे में ले। इसके साथ ही जिम्मेदारों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई करे।