
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से कहा है कि पांच साल एक पीएचडी स्कॉलर को कोर्स करने की अनुमति देना और बाद में यह कहना कि उसके दाखिले में कुछ कानूनी कमियां थीं, यह सही नहीं है
न्यायालय ने कहा कि उक्त स्कॉलर को पीएचडी पूरी करने की अनुमति दी जाए और इसके लिए उसका एक साल का पीरियड भी बढ़ाया जाए। न्यायालय ने कहा कि स्कॉलर से फीस जमा कराकर उसे पीएचडी पूरी करने दें। न्यायालय का मानना है कि देश में पहले ही रिसर्च स्कॉलर्स की कमी है। ऐसे में यूनिवर्सिटी का यह निर्णय उचित नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने याची पल्लवी सोनी की ओर से दाखिल याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया। याची का तर्क था कि उसने 2015 में यूनिवर्सिटी में पीएचडी में दाखिला लिया था। यूनिवर्सिटी ने तकनीकी आधारों पर याची का दाखिला 2019 में खारिज कर दिया था, जिसे उसने कोर्ट में चुनौती दी थी।
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