
गुस्सा, चिड़चिड़ापन, काल्पनिक दुनिया में जीना, झगड़ना जैसे मनोविकार मनोचिकित्सकों के लिए अब आम तरह के केस हो गए हैं। अब नए तरह के जो मामले मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं, उनसे वे हैरान हैं। इस मनोविकार से पति-पत्नी के रिश्ते भी टूट रहे हैं। बरेली की मनोचिकित्सक डॉ. हेमा खन्ना बताती हैं कि हर हाथ में फोन और इंटरनेट की पहुंच होने की वजह से दंपतियों में अश्लील फिल्में देखने की लत बढ़ी है। वे उसी तरह से रिश्ता बनाने का दबाव एक-दूसरे पर बना रहे हैं।
कोई एक साथी मना करता है तो दूसरा कुछ दिन तक जिद और फिर बाद में झगड़ा करने पर उतारू हो जाता है। धीरे धीरे यह मनोरोग का रूप ले रहा है। ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र का भेद खत्म हो गया है। यह मनोविकार तलाक और पारिवारिक कलह की मुख्य वजह बन रहा है। शहर के अलग अलग मनोचिकित्सकों के पास इस तरह के केस पहुंच रहे हैं।
पति ने पांच फिल्मों की क्लिप दी
सिविल लाइंस क्षेत्र के युवक-युवती की शादी को छह माह ही हुए हैं। शादी के एक माह बाद ही दोनों में बातचीत बंद हुई। बाद में झगड़े शुरू हो गए। परिजन ने कारण जानना चाहा तो दोनों तरह-तरह की बातें बताते रहे। मूल वजह साझा करने में हिचक थी। परिजन दोनों को काउसंलर के पास ले गए। वहां मनोवैज्ञानिक तरीके से बात करने में समस्या सामने आई।
नवविवाहिता ने बताया कि उसने पति के साथ शुरू में वेबसीरीज और पोर्न फिल्में देखीं। शुरुआत में यह मनोरंजन तक सीमित था। कुछ दिन बाद पति जिद करने लगे कि दोनों इसी तरह से रिश्ता बनाएंगे। पांच अलग-अलग फिल्मों की क्लिप दीं। वैसा ही करने के लिए कहा। पत्नी ने मना किया तो दोनों में झगड़े बढ़ने लगे। बात तलाक तक आ पहुंची है।
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