
आतंकियों को अपने पास रही पिस्टल की मारक क्षमता जांचनी थी। इसलिए उन्होंने सात साल पहले चकेरी में एक बेगुनाह रिटायर्ड प्रिंसिपल रमेश चंद्र शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्याकांड में शामिल दो आतंकियों आतिफ मुजफ्फर और मो. फैसल को एनआईए कोर्ट में सजा होने के बाद परिजनों ने न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा जताते हुए फैसले का सम्मान किया।
सेवानिवृत प्रधानाचार्य की हत्या का मामले में आईएस आतंकियों आतिफ मुजफ्फर व मोहम्मद फैसल दोषी करार दिया गया है। आतंकियों ने कबूला कि उन्होंने प्रिंसिपल के हाथ में कलावा देखा और उसकी हिंदू के रूप में पहचान करते हुए पिस्टल से गोली माकर हत्या कर दी थी। एनआईए की जांच पता चला कि ये आतंकी सिर्फ हथियारों का रिहर्सल करने के लिए पूर्व में भी कई हत्याएं कर चुके हैं।
कानपुर चकेरी के प्यौदी गांव स्थित स्वामी आत्मप्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाईस्कूल के रिटायर्ड 24 अक्तूबर 2016 को स्कूल से लौट रहे थे।रास्ते में आतंकियों ने उन्हें गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। उस वक्त उनके हत्यारों का पता नहीं चल सका था। जब एटीएस ने लखनऊ में जाजमऊ निवासी सैफुल्लाह का एनकाउंटर कर उसके कई साथियों को गिरफ्तार किया तब रिटायर्ड प्रिंसपिल की मौत के रहस्य से पर्दा उठा।
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