
विजिलेंस ने श्रीट्रॉन इंडिया लिमिटेड के सेवा अभिलेखों में गड़ब़ड़ी के मामले में शासन के निर्देश पर पूर्व आईएएस सुरेश चंद्र गुप्ता समेत चार तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले की खुली जांच का आदेश शासन ने पिछले वर्ष दिया था।
जांच में आरोप सही पाए जाने पर शासन की अनुमति पर तत्कालीन प्रबंधक एपी पवार, प्रबंध निदेशक एससी गुप्ता, प्रबंधक वित्त एवं लेखा राकेश कुमार गुप्ता और संयुक्त प्रबंधक देवी सिंह राजपुरोहित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गयी है।
विजिलेंस की खुली जांच में सामने आया कि श्रीट्रॉन इंडिया लिमिटेड में बिजनेस डेवलपमेंट इंजीनियर के पद पर नियुक्त एपी पवार ने अप्रैल 2010 में चिकित्सा अवकाश लिया था। इसकी अवधि पूरी होने पर भी उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने के बजाय दोबारा अवकाश के लिए आवेदन कर दिया। हालांकि इसे स्वीकृत नहीं किया गया। वहीं तत्कालीन प्रबंध निदेशक सुरेश चंद्र गुप्ता ने एपी पवार के वेतन पर रोक लगा दी।
तत्पश्चात एपी पवार ने अपना वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया। इसे स्वीकार करते हुए उनको कार्यमुक्त कर दिया गया और उनके देयों का भुगतान हो गया।
तत्कालीन प्रभारी पी एंड ए डीएस राजपुरोहित ने उनका पीएफ खाता बंद किया। जिसके बाद जानबूझकर एपी पवार की सेवा को अवैधानिक रूप से कंपनी में स्थापित करने के नया पीएफ खाता खोल दिया। जांच में सामने आया कि एपी पवार के चिकित्सीय अवकाश के कूटरचित दस्तावेज भी तैयार किये गये, जिसे अधिकारियों ने स्वीकृत कर दिया। यह भी सामने आया कि वर्ष 2011 में वीआरएस लेने के बाद एपी पवार ने सांई इंफो सॉल्यूशन के निदेशक के रूप में श्रीट्रॉन इंडिया लिमिटेड की निविदा में भी हिस्सा लिया।
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