
इस बार शरद पूर्णिमा और चंद्रग्रहण 28 अक्तूबर को साथ-साथ होंगे। यह इस साल का अंतिम चंद्रग्रहण होगा। रात 1 बजकर 5 मिनट से ग्रहण की शुरुआत होगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक चंद्रग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाए
आचार्य पंडित धीरेंद्र पांडेय के मुताबिक, ग्रहण का मध्य काल रात 1 बजकर 44 मिनट पर होगा। वहीं 2 बजकर 23 मिनट पर ग्रहण समाप्त होगा। वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय बताते हैं कि शास्त्रीय ग्रंथ धर्म सिंधु के अनुसार, चंद्रग्रहण का प्रभाव पूरे जनमानस पर पड़ता है।
वहीं निर्णय सिंधु कहता है कि बुजुर्ग, बच्चे और बीमार लोगों को छोड़कर ग्रहण सभी के लिए प्रभावी माना जाता है। ग्रहण का सूतक भी प्रभावी माना जाता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा इस बार ग्रहण से प्रभावित रहेगा।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए खुले आसमान तले खीर रखने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा पर पूजन कब करें और छत पर कब खीर रखें, इन सवालों पर पंडित धीरेंद्र पांडेय व डॉ. आदित्य पांडेय कहते हैं कि पूजन और खीर रखने का काम ग्रहण समाप्त होने के बाद करें तो अच्छा होगा।
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