
गोंडा के तरबगंज इलाके में वर्ष 2017 में दलित युवक की हत्या के मामले की जांच छह साल में फर्जी तरीके से 14 बार बदल दी गई। मृतक की पत्नी का फर्जी अंगूठा लगाकर प्रत्यावेदन देकर जांच ट्रांसफर कराने का खेल चलता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी।
इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में होने पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने डीजी सीबीसीआईडी को पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक डीजी सीबीसीआईडी ने इसका आदेश जारी कर दिया है।
हैरानी की बात यह है कि जिला पुलिस और सीबीसीआईडी द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने पर अदालत ने कुर्की का आदेश भी दिया, इसके बावजूद जांच बदलने का खेल जारी रहा। गोण्डा के थाना तरबगंज पर वादिनी सुंदरपति ने अपने पति रमई की हत्या की एफआईआर 5 जून 2017 को दर्ज कराई थी। इसमें उसने राधेश्याम दुबे, विष्णुशंकर दुबे, कलूट, मोहर अली को नामजद कराया था।
इस मामले की जांच सबसे पहले सीओ तरबगंज को सौंपी गई। विवेचना के दौरान ही एसपी गोण्डा के आदेश से जांच सीओ मनकापुर विजय आनंद को दे दी गई। कुछ दिन बाद विवेचना सीओ मनकापुर से सीओ तरबगंज ब्रह्म सिंह को मिल गई। बार-बार जांच बदलने की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग में होने पर आईजी जोन गोरखपुर के आदेश पर विवेचना बस्ती जिले के सीओ हरैया सतीश चंद्र शुक्ला को दी गई।
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