
अनीति, अत्याचार, अधर्म, असत्य और आतंक पर सत्य स्वरूप श्रीराम की जीत का पर्व विजयदशमी अनंत उत्साह के साथ मनाया गया। मेरठ शहर में 12 स्थानों पर मेला लगाकर रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले जलाए गए। मेलों में खूब आतिशबाजी हुई। लोगों ने चाट-पकौड़ों का आनंद लिया। पुतले जलते ही हर ओर श्रीराम के जयकारे गूंज उठे। सुबह घरों में मां सरस्वती, लक्ष्मी और श्रीराम की पूजा की गई।
मंगलवार को पंचक होने के कारण पांच पुतलों के बाद रावण के पुतलों को जलाया गया। श्रीराम ने अग्नि बाणों की वर्षा कर रावण रूपी बुराई को समाप्त कर दिया। दिल्ली रोड रामलीला ग्राउंड, भैसाली मैदान अयोध्यापुरी, रजबन, जेलचुंगी, कसेरूखेड़ा, मार्शल पिच, सूरजकुंड, प्रह्लाद नगर में श्रीराम और रावण के बीच भीषण युद्ध दिखाया गया। युद्ध लीला का मंचन किया गया। तोपखाना, कंकरखेड़ा, साकेत, शास्त्रीनगर, शुक्लों का चौक आदि स्थानों पर रावण के पुतले जलाए गए। रामलीला कमेटियों ने 12 बुराइयों में भ्रष्टाचार, अपराध, गंदगी, प्रदूषण, महिला उत्पीड़न, लोभ, लालच, चोरी, ईषा, घमंड आदि का प्रतीक रावण को मानकर पुतला दहन किया गया।
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