
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को कहा कि उनके और केरल सरकार के बीच कोई टकराव नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि धन विधेयक सिर्फ उनकी मंजूरी के बाद ही पारित किए जा सकते हैं। राज्यपाल ने कहा ‘उनके बीच कोई टकराव नहीं है। मैं संविधान की आत्मा के हिसाब से चलूंगा। विश्वविद्यालय विधेयक, धन विधेयक हैं और धन विधेयक बिना राज्यपाल की मंजूरी के विधानसभा द्वारा पारित नहीं किए जा सकते।’
राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची राज्य सरकार
राज्यपाल का यह बयान ऐसे समय आया है, जब केरल सरकार केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। बता दें कि केरल सरकार ने राज्यपाल के विधेयकों को पारित नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने केरल सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था। बता दें कि केरल सरकार का आरोप है कि राज्यपाल कुछ विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। वहीं राज्यपाल का कहना है कि राज्य सरकार कुलपतियों की नियुक्ति की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को दे रही है लेकिन विश्वविद्यालयों को राज्य और केंद्र सरकार से धन मिलता है।
राज्यपाल का ये है तर्क
राज्यपाल का दावा है कि हर विधेयक जिसमें व्यय का प्रावधान है, वह धन विधेयक होता है, जिसे राज्यपाल की मंजूरी के बिना विधानसभा के समक्ष नहीं रखा जा सकता। वहीं सरकार का तर्क है कि विधानसभा अध्यक्ष तय करते हैं कि कोई कानून धन विधेयक हैं या नहीं। सरकार ने विश्वविद्यालय से संबंधित विधेयक को धन विधेयक मानने से इनकार कर दिया है। इसी को लेकर दोनों पक्षों में मतभेद हैं। केरल सरकार ने राज्यपाल के विधेयकों को मंजूरी नहीं देने के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था। अपनी याचिका में सरकार ने कहा संविधान के तहत राज्यपाल को एक तय समय के भीतर विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देनी होती है। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 200 का हवाला दिया। सरकार ने कहा कि राज्यपाल विधेयकों को मंजूरी ना देकर जनप्रतिनिधियों के साथ ही राज्य के लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं।
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