
सीता हरण देख रुआंसे हुए लोग
कौशाम्बी
उदहिन बाजार में चल रही दस दिवसीय रामलीला के आठवें दिन सीताहरण की लीला दिखाई गई। मामा मारीच के सोने के हिरण बनके जंगल की ओर भागने और भगवान राम के हाथों मारे जाने के पूर्व हे सीते.. हे सीते..कहने से माता सीता को यह आभास हुआ कि भगवान राम संकट में है। उन्होंने लक्ष्मण जी को राम जी की सहायता के लिए जंगल जाने को कहा। लक्ष्मण जी के मना करने पर माता सीता ने आदेश दिया कि लक्ष्मण जी रामजी की सहायता के लिए अवश्य जंगल में जाएं। जाते जाते लक्ष्मण जी कुटिया में लक्ष्मण रेखा खींच के गए और माता सीता से कहा कि जब तक हम नहीं आए, आप इस लक्ष्मण रेखा को पार मत करिएगा। लक्ष्मण जी के जाते ही कुटिया में साधु के भेष में लंकापति राजा रावण आया और माता सीता से भीक्षा मांगा। सीताजी लक्ष्मण रेखा के अंदर से भीख देने लगी। इसपर रावण ने भिक्षा लेने से मना कर दिया और कहा कि जब तक आप इस लक्ष्मण रेखा को पार कर बाहर आकर भिक्षा नहीं देंगी, हम भिक्षा नहीं लेंगे। जैसे ही माता सीता लक्ष्मण रेखा पार कर बाहर आईं, रावण ने सीता जी का हरण कर लिया। माता सीता जी हे राम.. हे राम कहकर विलाप करने लगीं। रावण सीता जी का हरण कर जैसे ही लंका की ओर चल दिया, माता सीता जोर जोर से विलाप करने लगीं और रामलीला पंडाल परिसर मे मौजूद रहे सभी भक्त रुवांसे हो गए। इस मौके पर जीतू केसरवानी, रामबाबू सोनकर, अरविंद मौर्य, घनश्याम केसरवानी, बिनोद केसरवानी, बंगाली सोनी, बिनोद सोनी, डॉ अरविंद मौर्य आदि मौजूद रहे।
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