
अखिल भारतीय प्रधान संघ की चेतावनी मांगें पूरी नहीं हुई तो होगा काम बंद हड़ताल
बभनजोत-गोंडा
अखिल भारतीय प्रधान संगठन द्वारा रमाबाई अम्बेडकर मैदान में 28 अक्टूबर 2021 को 40,000 से अधिक प्रधानों की महारैली के माध्यम से अपनी निम्नलिखित मांगों को सरकार के समक्ष रखते हुए उस पर क्रियान्वयन हेतु 15 दिन का समय दिया गया था । परन्तु समयावधि समाप्त होने के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा संगठन की किसी भी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं की गई जिसके कारण मजबूर होकर आज एक दिन का कार्य बहिष्कार करते हुए प्रदेश के सभी 826 ब्लॉकों से खण्ड विकास अधिकारियों के माध्यम से आपको पुनः मांग पत्र सौंपा जा रहा है यदि इसके बावजूद भी हमारी मांगों पर समुचित कार्यवाही नहीं की गई तो 25 नवम्बर 2021 से पूरे उत्तर प्रदेश में काम बंद करते हुए असहयोग आंदोलन चलाया जाएगा । जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी
माग पत्र
1. वर्ष 1993 में पारित 73 वै संविधान संशोधन विधेयक के तहत 29 विषय व उनसे जुड़े अधिकार , कोष , कार्य और पंचायत कर्मियों को पंचायतों को सौंपकर सत्ता विकेंद्रीकरण की आदर्श व्यवस्था लागू की जाए ।
2. सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर व शौचालय केयरटेकर के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार स्वयं करें । ग्राम पंचायतों प्राप्त बजट का उपयोग यदि इन व्यवस्थाओं पर किया गया तो ग्रामीण विकास का कार्य बाधित हो जाएगा ।
3. जनपद स्तर पर माह में एक बार उक्त जनपद के जिला अधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में पंचायत दिवस मनाया जाए , जिसमें केवल जिले के प्रधानों क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की हो सहभागिता में पंचायतों से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जाए । इसी के साथ जनपद की समस्त पंचायतों में माह में एक बार पंचायत दिवस मनाया जाए , जिसमें पंचायतों से जुड़े सभी कर्मी गांव में पहुंचकर पंचायत से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान तुरन्त मौके पर ही करें ।
4.पंचायत से जुड़े राजस्व कर्मी , पंचायत कर्मी , आंगनवाड़ी , राशन कोटेदार व सरकारी स्कूल के अध्यापकों की उपस्थिति कार्य प्रमाणन , निलंबन की संस्तुति सहित सभी मामलों में पंचायतों को पूर्ण अधिकार दिया जाए । सभी कर्मियों का पंचायत मुख्यालय पर अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित की जाए ।
5.प्रधान , क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों की सुरक्षा हेतु शस्त्र लाइसेंस जारी करने में प्राथमिकता दी जाए ।
6. प्रधानों व सभी त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकरण से पूर्व उपनिदेशक पंचायतीराज से अनुमति का प्राविधान किया जाए । बिना शपथ पत्र के जांच न करायी जाए व झूठी शिकायत मिलने पर शिकायतकर्ता के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई अनिवार्य की जाए ।
7. जिला योजना समिति में प्रधानों को प्रतिनिधित्व दिया जाए।
8. लोकसभा में माननीय सांसद दद्वारा पारित किए गए प्रस्ताव की भांति लोकसभा सचिवालय के सचिव से सांसद को दिए जाने वाले मानदेय रु एक अधिक की तर्ज पर ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत अधिकारी से एक रुपए अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्यों को ADO ( ISB ) से एक रुपए अधिक , जिला पंचायत सदस्यों को अधिशासी अधिकारी से एक रुपए अधिक क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को खण्ड विकास अधिकारी से एक रुपए अधिक तथा जिला पंचायत अध्यक्षों को जिलाधिकारी के वेतन से एक रुपए अधिक मानदेय निर्धारित किया जाए ।
9. दस लाख रुपए तक के कार्य एस्टीमेट पास कराने में ग्राम सभा को पूर्ण अधिकार दिया जाए ।
10.उत्तर प्रदेश पंचायत राज एक्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों को प्राप्त राज्य वित्त आयोग व 15 वां वित्त आयोग की धनराशि को विकास कार्यों में खर्च करने का पूर्ण अधिकार दिया गया है परंतु दुर्भाग्यवश वर्तमान में लखनऊ से गाइडलाइन जारी करके उक्त एक्ट का मखौल उड़ाया जा रहा है , जिससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ग्राम पंचायतों को अपनी एजेंसी मानकर कार्य करा रही है । इससे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई गाँव सरकार पर प्रश्न चिन्ह लग गया है । यदि ऐसा ही रहा तो 73 वै संविधान संशोधन का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा । इस व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाकर पंचायतों को पूर्ण स्वतंत्रता दी जाए ।
11. राज्य वित्त आयोग व प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू किया जाए ।
12. पंचायतों में प्रयुक्त होने वाली निर्माण सामग्री ( ईट , मोरंग , सफेद बालू , गिट्टी , सरिया , सीमेंट आदि ) का मूल्य बाजार दर से बहुत ही कम है । अतः उसे बाजार दर के अनुरूप पुनरीक्षित किया जाय । उपरोक्त निर्माण सामग्री के मूल्य का निर्धारण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है , जबकि उपरोक्त सामग्री का प्रयोग स्वयं लोक निर्माण विभाग द्वारा नहीं किया जाता जिसके कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा जानबूझकर बाजार दर से कम मूल्य निर्धारित किया जाता है अतः मूल्य निर्धारण का कार्य किसी अन्य एजेंसी को दिया जाए ।
13. ग्राम पंचायतों में कार्यरत सफाई कर्मियों की नियुक्ति राजस्व ग्राम वार की हुई है , जिसके कारण बहुत बड़ी विसंगति पैदा हो गई है । क्योंकि राजस्व ग्राम की जनसंख्या 100 से नीचे भी है तथा आठ से दस हजार तक भी है । अतः सफाई कर्मियों के कार्य क्षेत्र का निर्धारण जनसंख्या के बराबर – बराबर हिस्से में किया जाना न्याय संगत होगा ।
ब्लॉक परिसर बभनजोत में प्रधान संघ ने अपनी मांगों को लेकर सहायक विकास अधिकारी पंचायत संजय जयसवाल को ज्ञापन सौंपा गया और अगर प्रधान जी लोगों की मांगे नहीं मानी गई तो 25 तारीख से काम बंद हड़ताल होगा।
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