
अमर शहीद गेंदालाल दीक्षित के बलिदान दिवस पर दी गई श्रद्धांजलि
औरैया
अमर शहीद पं० गेंदा लाल दीक्षित का वलिदान दिवस भारत प्रेरणा मंच के तत्वावधान में जी एल डी चौराहे पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर मनाया गया । वक्ताओ ने गेंदा लाल दीक्षित के क्रान्ति जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया क़ि गेंदा लाल दीक्षित का जन्म आगरा के वाह तहसील के गई गाँव में 30 नवम्बर 1888 को हुआ था । शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह औरैया के झनी बिद्यालय1921 में ए बी हाईस्कूलऔर वर्तमान में तिलक इण्टर कालेज में अध्यापक के रुप में कार्यरत होकर औरैया आये । वह बचपन से ही भारत माता को पराघीन देखकर दुखी रहते थे।साथ ही बङे होकर फिरंगियों से देश आजाद कराने के लिए युक्त सोचते रहते थे । औरैया आने पर उनकों अपने मिशन को मूर्त रूप देने के लिए एक आघार भारत वीर मुकुन्दी लाल गुप्त रुप में मिल गया । धीरे धीरे दस्यु जीवन जी रहे लक्ष्मण चन्द्र व्रहमचारी जैसे सैकडों लोंग दस्यु जीवन छोड़ पंडित जी के अवाहन पर देश की आजादी के लिए सशस्त्र आन्दोलन में कूद पड़े ।
गेंदा लाल दीक्षित ने सभी आजादी के मतवालों को साथ लेकर शिवा जी समिति का गठन किया । आजादी के संधर्ष को अधिक गति देने के लिए उन्होंने शिवा जी समिति को कुछ समय बाद भंग कर मात्र वेदी संस्था का गठन किया । मात्रवेदी संस्था की संरचना उन्होंने विलकुल सैऱ्य बल के तरीके से की ।मात्र वेदी के सशस्त्र सदस्यों की संख्या धीरे धीरे दश हजार से ऊपर पहुँच गयी । गेंदा लाल दीक्षित के नेतृत्व में मात्रवेदी के सदस्यों ने हथकान्त थाने पर हमले जैसे कई सफल आभियान ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाकर कई अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया ।उस समय लंदन में रानी विक्टोरिया ने गेंदा लाल दीक्षित के ऊपर पाँच लाख का इनाम घोषित किया था | अमर शहीद राम प्रसाद विस्मिल अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद सहीत सभी क्रान्तिकारियों ने गेदा लाल दीक्षित को द्रोणाचार्य की उपाधि दी थी । गेदा लाल दीक्षित ने एक साथ सभी अंग्रेज कलैक्टर मारने की योजना बनायी थी । लेकिन एक गददार के चलते योजना विफल हो गयी । इटावा के निकट एक मुटभेड़ में घायलावस्था में गेदां लाल दीक्षित दल के कई सदस्यों के साथ गिरफ्तार हुए व्रहमचारी सहीत दल बु 35 सदस्य झ्स मुटभेड़ में शहादत को प्राप्त हुए । गेंदालाल दीक्षित सहीत दल के सदस्यों पर मैनपुरी षड़यन्त्र केस चलाकर ग्वालियर जेल में बन्द कर दिया गया । अपनी चतुराई से गेंदालाल दीक्षित एक साथी के साथ जेल तोड़कर फरार होकर माँ भारती को आजाद कराने के मिशन फिर लग गये । साथ में फरार साथी के घोखा देने के बाद भी वह अपने अभियान से विचलित नही हुए । वह कोटा आगरा होते हुए अपने अभियान पूर्ति के लिए दिल्ली पहुंचे । दिल्ली में वह छदम नाम और भेष में एक प्याऊ में पानी पिलाने लगे । अत्यघित संधर्ष और कष्ट झेलने के कारण वह क्षय रोग से ग्रसित हो गये । समुचित उपचार न मिलने के कारण उनकी वीमारी ने गम्भीर रुप ले लिया ।किसी तरीके से उनके वीमार होने की सूचना जव उनकी पत्नी को मिली तो वह गोपनीय तरीकें से एक रिस्तेदार के साथ दिल्ली पहुँची । हालत नाजुक देखकर छ्दम नाम से ही म्यूस्पलटी के एक अस्पताल में भर्ती करवाकर भेद ना खुल जाये इस कारण वह वापस घर गयी । जव बाद में हाल चाल लेने के लिए दुबारा वह अस्पताल पहुंची । तो अस्पताल द्वारा बताया गया कि आप द्वारा भर्ती मरीज का 21 दिस्मबर 1920 को दिन के 2 बजे स्वर्गवास हो गया था और लावारिस हालत में उनक़े पार्थिव शरीर का अन्तिम संस्कार कर दिया गया था । आजादी के संधर्ष का इतना बड़ा महानायक इस प्रकार दुनिया से चला गया किसी ने यह भी नही जाना कि वह कौन था । श्रद्वांजलि कार्यक्रम के मुख्यअतिथि डा० गोविन्द द्धिवेदी ने पं० गेंदा लाल दीक्षित को आजादी का महानायक बताते हुए वर्तमान में युवाओं का प्रेरणाश्नोत बताया । कार्यक्रम का संयोजन कवि गोपाल पाण्डेय ने किया । इस अवसर पर कैप्टन जगपाल सिहं भदौरिया के के चर्तुवेदी सुरेश सेगरअभिषेक तिवारी सहीत बड़ी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित रहे ।।
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