
बाल स्वास्थ्य पोषण माह मुफ्त पिलाई जा रही है विटामिन ए की डोज
इटावा।जनपद के लगभग 203496 बच्चों को विटामिन ए की खुराक खिलाई जाएगी। विटामिन ए की खुराक से बच्चों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाएगी इसलिए सभी 9 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ए की खुराक अवश्य पिलवाएं यह कहना है जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ श्रीनिवासन का।
उन्होंने बताया बाल स्वास्थ्य पोषण माह 22 दिसंबर से आरंभ हो गया है। इसलिए बुधवार 29 दिसंबर से जनपद के सभी ब्लॉकों में विशेष अभियान के तहत 9 माह से 5 वर्ष तक के लक्ष्य लगभग 2 लाख बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी।
डॉ श्रीनिवासन ने बताया इस दवा से बाल रोगों की रोकथाम होती है इसके अलावा अभियान का उद्देश्य स्तनपान बच्चों को पूरक आहार का बढ़ावा देना और कुपोषण से बचाव करना, गर्भवती को आयोडीन युक्त नमक के प्रयोग को बढ़ावा देना है।
इस अभियान के तहत सभी ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की बाल विकास परियोजना अधिकारी के साथ समन्वय स्थापित कर विभिन्न ब्लॉकों में अभियान को सफल बनाने के लिए बच्चों को विटामिन ए पिलाने का लक्ष्य सौंपा गया है।
बढ़पुरा ब्लॉक के सीडीपीओ उत्तम कुमार ने बताया ब्लॉक स्तर पर सभी आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा समन्वय स्थापित कर अति कुपोषित बच्चों का चिन्हित किया जाएगा और पोर्टल पर पंजीकरण के साथ उनके प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाएगी। बाल स्वास्थ्य पोषण माह के अंतर्गत अभियान में 9 माह से 5 वर्ष तक के लक्षित बच्चों को विटामिन ए की खुराक प्राथमिकता से पिलाई जाएगी।
उन्होंने बताया अभियान को सफल बनाने के लिए आशा एएनएम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इस अभियान के दौरान अति कुपोषित बच्चों की पहचान के बाद उनका समुचित उपचार किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर जो बच्चे सैम श्रेणी में है, उनको अस्पताल व एनआरसी में इलाज के लिए भी भर्ती कराया जाएगा।
सीडीपीओ ने बताया सैम श्रेणी (अति कुपोषित बच्चे) के बच्चों को चिन्हित करने के प्रमुख लक्षण में पैरों में सूजन भूख में कमी, बुखार ,तेज सांस चलना, निमोनिया के लक्षण, उल्टी एवं दस्त है। ऐसे बच्चों को तत्काल स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना प्राथमिकता रखी जाएगी। इन्होंने कहा आंगनवाड़ी कार्यकर्ती अपने-अपने क्षेत्र के बच्चों तत्काल बच्चों का वजन लें इसके अलावा बच्चों की लंबाई तथा ऊंचाई भी नाप लें। इस दौरान जो भी रिजल्ट आए उन्हें अपने चार्ट के अनुसार मिलाकर सैम बच्चों को चिन्हित करें जिससे उन बच्चों का इलाज समय से कराया जा सके। उन्होंने बताया केंद्र पर पंजीकृत 9 माह से 5 साल तक के समस्त बच्चों की डयू लिस्ट आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बनाने के निर्देश भी दिए गए है।
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