
लखनऊ विश्वविद्यालय से सहयुक्त महाविद्यालयों में आवेदन से पहले अब हर विद्यार्थी को अपना पंजीकरण लविवि के पोर्टल पर कराना होगा। इसके लिए उसे रुपये 100 फीस भी देनी होगी। इसके बाद उसे एक यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर मिलेगा। इस नंबर से ही छात्र महाविद्यालयों में आवेदन कर सकेगा। विवि की वित्त समिति की बैठक में यह प्रस्ताव पास हो गया है। कार्य परिषद से मंजूरी मिलने के बाद इसे अमल में लाया जाएगा।
लविवि से इस समय राजधानी के साथ ही रायबरेली, हरदोई, लखीमपुरखीरी और सीतापुर के 545 काॅलेज सहयुक्त हैं। इन कालेजों में इस समय करीब तीन लाख के करीब सीटें हैं। बीएड, बीपीएड और डीएलएड पाठ्यक्रमों को छोड़कर अन्य सभी पाठ्यक्रमों के दाखिले अभी तक महाविद्यालय स्तर पर ही किए जाते हैं। दाखिले होने के बाद महाविद्यालय से उनके परीक्षा फॉर्म आ जाते हैं और विवि उनकी परीक्षा कराता है। महाविद्यालय के दाखिलों में अभी तक लविवि का कोई रोल नहीं था। अब इसमें एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब किसी भी महाविद्यालय में आवेदन करने से पहले लविवि से एक यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर लेना होगा। इसी नंबर के आधार पर वे महाविद्यालय में आवेदन कर सकेंगे। यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर न होने पर आवेदन और दाखिला दोनों अवैध माने जाएंगे। ऐसा होने के बाद लविवि को हर छात्र के हिसाब से 100 रुपये का पंजीकरण शुल्क देना होगा। इसके लिए एक अलग पोर्टल संचालित होगा। इस पोर्टल पर विद्यार्थी को अपना नाम, पता, आधार नंबर तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज करानी होगी। इसी के बाद उसे यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर जारी होगा।
लविवि के लिए खुलेगा आय का नया स्रोत
महाविद्यालय में आवेदन के लिए यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर से लविवि को अतिरिक्त आय होगी। इस समय लविवि से सहयुक्त महाविद्यालयों में तीन लाख के करीब सीटें हैं। करीब डेढ़ लाख दाखिले हर साल हो रहे हैं। जिन कॉलेजों में सीटें खाली रहती हैं, उनमें से ज्यादातर स्ववित्तपोषित ही हैं। वहीं, इससे अलग लविवि के साथ ही कई महाविद्यालय में एक-एक सीट पर दाखिले के लिए 20 से ज्यादा विद्यार्थी होते हैं। यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर की व्यवस्था के बाद लविवि को हर विद्यार्थी से 100 रुपये मिलने हैं। ऐसे में विवि के लिए आय का एक नया स्रोत खुल जाएगा। वहीं दूसरी तरफ विद्यार्थियों पर फीस का एक अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
दोहरे दाखिले से मिलेगी निजात, परीक्षा कराने में होगी आसानी
लविवि की इस नई व्यवस्था से विद्यार्थियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा वहीं दूसरी तरफ विवि को कई फायदे मिलेंगे। अतिरिक्त आय के साथ ही विवि को परीक्षा का डाटा पहले ही मिल जाएगा। विवि के बाद कॉलेज का पूरा डाटा पोर्टल पर मौजूद होगा। कॉलेज से उसका फॉर्म आने पर उसका मिलान हो जाएगा। दूसरा फायदा एक ही विद्यार्थी के दो कॉलेजों में दाखिला लेने की आशंका समाप्त होगी।
कोट
पंजीकरण अनिवार्य
वित्त समिति ने महाविद्यालय में दाखिले के लिए आवेदन करने वाले हर विद्यार्थी के यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर जनरेशन को स्वीकृति दी है। इस नंबर को पाने के लिए विद्यार्थी को पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए उसे 100 रुपये फीस देनी होगी।
संजय मेधावी, कुलसचिव लविवि
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