
प्रदेश के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी कॉलेजों के छात्र अब शरीर में मौजूद लिवर, किडनी, हार्ट सहित अन्य अंगों को प्रत्यक्ष रूप से देख सकेंगे। सिर के न्यूरांस का आंकलन कर सकेंगे और विभिन्न अंकों से जुड़ी नसों के फैलाव को जांच सकेंगे। अभी तक यह सुविधा सिर्फ एलोपैथिक कॉलेजों के छात्रों को मिलती है। अन्य विधा के छात्र प्लास्टिक के डमी के जरिए पढाई करते हैं। इसके लिए एनोटॉमी एक्ट में बदलाव किया जाएगा।
एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों के छात्र दान में मिलने वाले शव के जरिए शरीर के विभिन्न अंगों का अध्ययन करते हैं। इसके लिए कॉलेजों के एनोटॉमी विभाग में शव बैंक बने हुए हैं। कॉलेजों को शव का लाइसेंस मिला है। इन शवों के जरिए एमबीबीएस और एमडी के छात्र अध्यापकों की मौजूदगी में विभिन्न अंगों के आंतरिक हिस्से का चीरफाड़ करते हुए अध्ययन करते हैं। उनके विभिन्न अंगों से जुड़ाव, वजन, फैलाव आदि की जानकारी लेते हैं।
लेकिन आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक छात्रों को यह सुविधा नहीं मिलती थी। उन्हें प्लास्टिक डमी के जरिए सिखाया जाता है। चिकित्सा विज्ञान में प्रायोगिकता के महत्व को लेकर लगातार यह मांग उठ रही है कि अन्य आयुष विधा के छात्रों को भी शव पर अध्ययन करने की सुविधा मिले। इससे उनका चिकित्सकीय ज्ञान बढ़ेगा।
ऐसे में शासन की ओर से आयुष विधा के छात्रों को भी शव पर अध्ययन करने में आ रही अड़चनों को दूर करने का निर्देश दिया गया है। होम्योपैथिक निदेशक प्रो अरविंद कुमार वर्मा के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने विभिन्न राज्यों में एनोटॉमी एक्ट का अध्ययन किया। आयुष विधा के कॉलेजों में दी गई सुविधा और लैब के बारे में जानकारी ली। इसके बाद शासन को प्रस्ताव भेजा है। सूत्रों की मानें तो कमेटी ने शासन को भेजे गए प्रस्ताव में यूपी एनोटॉमी एक्ट 1957 में संशोधन करने और नई धारा जोड़ने का प्रस्ताव दिया है।
इसके जरिए आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक कॉलेजों में दान में मिले शव को रखा जा सकेगा और उन पर मेडिकल छात्र अध्ययन कर सकेंगे। यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि जहां आयुष कॉलेजों में ज्यादा शव रखने की जगह है, वहां देहदान कराने की भी व्यवस्था की जाए ताकि शव के लिए दूसरे कॉलेजों पर निर्भरता खत्म हो। पहले चरण में यह व्यवस्था राजकीय कॉलेजों में लागू होगी। इसके बाद निजी क्षेत्र के कॉलेजों में भी इसे लागू किया जाएगा।
पहले चरण में केजीएमयू से लेंगे शव
अभी तक केजीएमयू में हर साल करीब 30 शव दान में मिलते हैं। यहां के एमबीबीएस और एमडी छात्र करीब 18 शव पर अध्ययन करते हैं। अन्य शव दूसरे कॉलेजों को दिए जाते हैं। एक्ट में बदलाव होने के बाद यहां से राजकीय आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी कॉलेजों को शव देने का सुझाव दिया गया है। इससे यहां के छात्र भी शव पर अध्ययन कर सकेंगे। क्योंकि प्रदेश में केजीएमयू के अलावा अन्य एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज अपने यहां खुद भी देहदान करा रहे हैं।
तीन हजार से ज्यादा छात्रों को मिलेगा फायदा
एक्ट में संशोधन होने से तीनों विधा के करीब तीन हजार से ज्यादा छात्रों को फायदा मिलेगा। प्रदेश में आठ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में 588, नौ राजकीय होम्योपैथिक कॉलेज में 976 और दो राजकीय यूनानी कॉलेज में 150 स्नातक छात्र अध्ययन करते हैं। इसी तरह तीनों विधायों में निजी क्षेत्र के कॉलेजों में 1330 स्नातक छात्र दाखिला लेते हैं। इन सभी छात्रों को शव पर अध्ययन करने का मौका मिलेगा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
विभिन्न राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन करने के बाद एनोटॉमी एक्ट में बदलाव संबंधी प्रस्ताव और सुझाव शासन को भेजा गया है। इससे चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा बदलाव दिखाई देगा। आयुष छात्र भी शरीर के विभिन्न अंगों को साक्षात देख सकेंगे। इससे उनका ज्ञान बढ़ेगा।
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