
उत्तर प्रदेश में पारे के साथ बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। पिछले दो दिन में 1367 मेगावाट की मांग बढ़ी है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन को हर दिन बैंकिग के तहत मिल रही तीन हजार मेगावाट बिजली राहत दे रही है। कॉरपोरेशन प्रबंधन की इस रणनीति ने महंगी बिजली खरीदने से बचा लिया है। अब लोकल फॉल्ट को दुरूस्त करने पर जोर दिया जा रहा है।
प्रदेश में एक जून को बिजली की अधिकतम मांग 23833 मेगावाट थी। यह चार जून को 25200 तक पहुंच गई। अगले सप्ताह यह फिर से 26 हजार मेगावाट से अधिक हो सकती है। ऐसे में कॉरपोरेशन प्रबंधन की बैंकिंग व्यवस्था ने राहत दी है। पहले से जुटाई गई बिजली अब बैंकिंग के तहत शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक करीब 3000 मेगावाट मिल रही है। यह व्यवस्था पूरे जून में जारी रहेगी। दूसरी तरफ 30 जून से ओबरा सी की 660 मेगावाट और जुलाई में जवाहरपुर की 660 मेगावाट की यूनिट उत्पादन शुरू करने की तैयारी है।
अब कॉरपोरेशन प्रबंधन का जोर लोकल फाल्ट दुरुस्त करने पर है। शहरी क्षेत्र में बढ़ते ब्रेकडाउन को रोकने के लिए बिजली कंपनियों को ट्रांसफार्मर ट्रॉली, एबीसी केबल, एलटी लीड फ्यूज वायर की उपलब्धता रखने का निर्देश दिया गया है।
सितंबर तक मिल सकती है बैकिंग बिजली
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कॉरपोरेशन प्रबंधन से मांग की गई है कि लोकल फाल्ट को भी कम करने में तत्परता दिखाई जाए। बढ़ती गर्मी की वजह से बिजली की मांग 28 हजार मेगावाट तक जा सकती है। ऐसे में जनता को समस्या से बचाने के लिए विभाग को हमेशा अलर्ट मोड पर रहना होगा।
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