
आभा एप मरीजों के इलाज में बाधा बन रहा है। पंजीकृत नहीं होने से लाइन में लगने के बाद भी बिना इलाज करवाए मरीज लौट रहे हैं। श्री महाराजा गुलाब सिंह (एसएमजीएस) शालामार अस्पताल में एप को भी डाउनलोड करने के बाद ही पंजीकरण हो रहा है। महिलाओं और बुजुर्गों का कहना है कि वह फोन का इस्तेमाल नहीं करते।
ऐसे में समस्या आ रही है। एक गर्भवती महिला ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के लिए सुबह से लाइन में लगी है। चक्कर आने के कारण अब बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए मजबूर है। बुजुर्ग ने बताया कि मोबाइल नहीं होने के कारण इलाज करवाने में असमर्थ हैं। कुंती देवी ने बताया -सुबह से लाइन में खड़ी हूं और आगे पहुंची तो आभा एप डाउनलोड कर लाइन में लगने के लिए कहा।
दो बार चक्कर खाकर गिर चुकी हूं, लेकिन अभी तक इलाज नहीं करवा पाईं। बख्शी नगर अस्पताल से आई थीं। गुड्डी देवी ने बताया – 8 दिन पहले भर्ती थी, क्योंकि खून की कमी हो गई थी। किडनी में भी दिक्कत है। दिनभर लाइन में लगी हूं। सिर्फ चेकअप करवाने आई थी। अब इस हालत में किस विभाग के पास जाऊं।
मोबाइल चलाना भी नहीं आता है। इसी तरह मंगत राम ठाकुर (75) सुबह से इलाज करवाने के लिए बैठे रहे। उनकी पर्ची भी नहीं बनी। पोते को फोन कर बुलाया ताकि उनका इलाज हो सके, लेकिन वह भी नहीं पहुंचा। दोपहर दो बजे तक इलाज के लिए संघर्ष करते दिखे।
टोकन के बाद मिलती पर्ची
आभा पर ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद टोकन नंबर मिलता है, जो आधा घंटे के लिए मान्य होता है। मरीज का विवरण कंप्यूटर में आता है। मरीज को काउंटर पर टोकन नंबर बताकर 10 रुपए देकर पर्ची लेनी होती है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से पर्चियां दी जा रही हैं। कई लोगों के माेबाइल आधार से लिंक नहीं हैं। इसलिए समस्या है। -डॉ. दारा सिंह, एमएस, एसएमजीएस अस्पताल
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