अब सोशल मीडिया पर भिड़े छात्र नेता और शिक्षक

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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच चल रहे विवाद को लेकर बहस सोशल प्लेटफॉर्म पर छिड़ गई है। दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। एबीवीपी कार्यकर्ता एवं छात्रनेता जहां विश्वविद्यालय में हुए विवाद के लिए कुलपति एवं प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं, कुलपति के पक्ष में अब विश्वविद्यालय के डीन, विभागाध्यक्ष व शिक्षक कूद पड़े हैं। दोनों तरफ से फेसबुक, इंस्ट्राग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किए जा रहे हैं।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित कुलपति कार्यालय पर 21 जुलाई को फीस वृद्धि एवं एबीवीपी कार्यकर्ताओं के निलंबन को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर हमले की कोशिश की। पुलिस से भी उनकी झड़प हुई और कुलसचिव की पिटाई कर दी गई। इस मामले में एबीवीपी के 22 कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज कर आठ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर कुलपति के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया।
कार्यकर्ता अपने-अपने तर्क से घटना के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन व कुलपति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका यह अभियान जब ट्रैंड करने लगा तो विश्वविद्यालय के शिक्षक भी सोशल मीडिया पर कूद पड़े। ट्विटर, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम पर घटना की निंदा करते हुए पोस्ट करना शुरू कर दिए। समाजशास्त्र विभाग के शिक्षकों ने घटना की निंदा करते हुए दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है। भौतिकी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं शिक्षक रुसिराम महानंदा ने पोस्ट कर कुलपति कार्यालय में हुई घटना की निंदा की है।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं एवं छात्र नेताओं ने छेड़ रखा है अभियान
प्रवीण शुक्ला ने पोस्ट कर लिखा है, एक निश्चित सीमा से ज्यादा जब कुछ भी बढ़ जाता है तो टूटना भी निश्चित होता है। चाहे वह नदी पर बना बांध हो या सब्र का बांध। प्रसून त्रिपाठी ने लिखा है कि गोविवि की मनमानी सभी ने देखी है। परीक्षा के एक दिन पहले टाइम टेबल बदल जाता है। विश्वविद्यालय प्रशासन भी दूध का धुला नहीं है।
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