
फर्जी कॉल सेंटर खोलकर यूके के वरिष्ठ नागरिकों से जालसाजी के मामले में एसएसपी डॉ गौरव ग्रोवर ने बताया कि जुबिलेट नाम से कंपनी का फर्जी रजिस्ट्रेशन कोलकाता में कराया गया था। कंपनी को रजिस्ट्रेशन करने वाली कंपनी बताया गया था और उसकी आड़ में ठगी करने के लिए कॉल सेंटर चलाया जा रहा था।
22 युवाओं को कंपनी में कॉल करने के लिए रखा गया था। इंटरनेट कॉल के जरिए ऑटो डायल किया जाता था। इनके पास यूके के लोगों के नंबर थे। फिर कॉल सेंटर का कर्मचारी फोन पर इंटरनेट स्लो होने की बात कहता था। उसे यूके के नामी कंपनी, जोकि वास्तव में ही इंटरनेट स्पीड की जांच करती है, उसका हवाला दिया जाता था। अगले के राजी होते ही कर्मचारी को कॉल सुपरवाइजर को ट्रांसफर कर देना था।
इसके बाद कर्मचारी को हेडफोन निकाल देना होता था, ताकि वह बात न सुन सके, इसके लिए निगरानी भी की जाती थी। फिर ठग सुपरवाइजर चेक करने के लिए लिंक का हवाला देता था, जिसमें नीचे एक लिंक दिखाई देता था, जो खाता हैक होने की जानकारी देता था। इसी दौरान एक अगली टीम खुद को यूके की नेशनल क्राइम एजेंसी बनकर कॉल करती थी और कहती थी, आपका खाता हैक हो गया। नीचे लिंक नजर आने की वजह से बातों पर यकीन हो जाता था।
फिर खुद को क्राइम एजेंसी का बताने वाला शख्स अपना एकाउंट नंबर देता था और कहता था तीन बार आपके खाते से रुपयों का ट्रांसजेक्शन किया गया है। एक बार तत्काल दिए गए खाते में रुपये भेजें, ताकि आरोपी को लाइव पकड़ा जा सके। फिर लंदन में बैठे अपने साथियों के खाते में पाउंड मंगवा लेते थे। इस तरह से यह लोग तीन करोड़ रुपये की जालसाजी कर चुके हैं।
इनकी हुई गिरफ्तारी
इनके जिम्मे था यह काम, ऐसे करते थे जालसाजी
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