
कानपुर के ग्रामीण इलाकों में विकास के नाम पर बड़ा गोलमाल हुआ है। ग्राम पंचायतों में दिखाए गए 117 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का कोई लेखाजोखा ही नहीं है। ऑडिट टीम ने 2004 से 2016 के बीच जिले की ग्राम पंचायतों में दिखाए गए विकास कार्यों की फाइलों की जांच में यह गड़बड़ी पकड़ी है।
इसमें से 53 करोड़ रुपये का दुरुपयोग तो एक साल (2015-16) में ही हुआ। गोलमाल में 80 ग्राम प्रधान और 60 सचिवों के नाम सामने आए हैं। इनमें से कई प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो गया है, जबकि कई सचिव रिटायर हो चुके हैं। कुछ का तबादला हो गया। खुलासे के बाद विभाग इन सचिवों और प्रधानों से वसूली की तैयारी कर रहा है।
पंचायती राज विभाग गांवों में विकास कार्य के लिए प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करता है। शासन से 15वें वित्त और पंचम वित्त मद के तहत धनराशि जारी की जाती है। पंचम वित्त की धनराशि से मेंटीनेंस, सरकारी भवन का निर्माण आदि काम होते है, जबकि 15वें वित्त की राशि नाली, खड़ंजा व कार्यालय संबंधी सामग्री मंगाने पर खर्च की जाती है। दोनों मदों में कुल 10 से 11 करोड़ रुपये हर साल आते हैं।
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