उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में शामिल 13 सीटों पर इंडिया गठबंधन ने नई रणनीति बनाई है। तय किया है कि संबंधित लोकसभा सीटों पर अधिकाधिक मतदान कराया जाए। इसके लिए प्रदेश व जिला स्तरीय पदाधिकारियों को बूथ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। घर-घर पहुंचने वाली टीम चुनाव घोषणा पत्र और कांग्रेस के 10 साल व सपा के पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियों से संबंधित पर्ची भी थमा रहे हैं।
सातवें चरण में शामिल 13 सीटों में से महराजगंज, देवरिया, बांसगांव और वाराणसी सीट पर गठबंधन के तहत कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा एकसाथ थी और कांग्रेस अलग मैदान में उतरी थी। अगर इन तीनों दलों को मिले वोटबैंक को मिलाकर देखा जाए तो भी वह भाजपा के वोटबैंक से काफी पीछे थी। महराजगंज में भाजपा को 59.20 फीसदी वोट मिला था, जबकि सपा- बसपा को 31.45 और कांग्रेस को सिर्फ 5.91 फीसदी फीसदी वोट मिला था। यहां भाजपा ने पंकज चौधरी पर फिर से दांव लगाया है, जबकि इंडिया गठबंधन ने उम्मीदवार बदल कर वीरेंद्र चौधरी को मैदान में उतार दिया है।
वहीं, बांसगांव में भाजपा को 56.41 फीसदी वोट मिला। कांग्रेस ने यहां उम्मीदवार नहीं उतारा था। सपा-बसपा गठबंधन के तहत सदल प्रसाद मैदान में थे, उन्हें 40.57 फीसदी वोट मिला था। इस बार वह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। देवरिया में दोनों तरफ से नए उम्मीदवार उतारे गए हैं। भाजपा के शशांक मणि त्रिपाठी और कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। चुनावी चौसर पर ब्राह्मण व क्षत्रिय बिरादरी के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। दोनों अन्य जातियों को गोलबंद करने में जुटे हैं। यहां भाजपा को 57.19, कांग्रेस को 5.03 और सपा- बसपा को 32.57 फीसदी वोट मिला था।
वाराणसी पर दोनों का फोकस
वाराणसी से पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 63.62 फीसदी वोट मिला था। यहां कांग्रेस के अजय राय को 14.38 और सपा-बसपा गठबंधन उम्मीदवार शालिनी यादव को 18.40 फीसदी वोट मिला था। इस बार शालिनी भाजपा के साथ हैं। यहां नरेंद्र मोदी और अजय राय के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा हार-जीत के अंतर को ऐतिहासिक बनाने की ख्वाहिशमंद है। यही वजह है कि हर वर्ग के बीच अलग-अलग बैठकें हो रही हैं। मठ-मंदिर से लेकर मतदाताओं के घर-घर पार्टी के दिग्गज नेता पहुंच रहे हैं। उनकी इस ख्वाहिश को पूरा न होने देने के लिए विपक्ष ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। पहले प्रियंका गांधी और डिंपल यादव ने रोड शो किया तो फिर मंगलवार को अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने संयुक्त कार्यक्रम के जरिए एकजुटता का संदेश दिया। सपा और कांग्रेस के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी भी वाराणसी में डेरा डाले हैं और घर-घर पहुंच रहे हैं। यहां गठबंधन ने भी मंशा साफ कर दी है कि वे वाराणसी से किसी भी कीमत पर रिकॉर्ड नहीं बनने देना चाहते हैं।
मनरेगा से लेकर कन्या विद्याधन तक
अंतिम चरण के सियासी मैदान में उतरे इंडिया गठबंधन से जुड़े राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय नेता काम के बदले अनाज योजना, मनरेगा से लेकर कन्या विद्याधन तक गिना रहे हैं। इसी तरह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की खासियत के साथ ही अन्य एक्सप्रेसवे की कमियां भी गिना रहे हैं। वोटरों को कामधेनु योजना, बिजली सेक्टर के कार्यों और किसान के हित में किए गए कार्यों के पंपलेट के साथ ही 2019 के घोषणा पत्र भी थमाया जा रहा है।
जहां वोट कम, वहां ज्यादा सजगता
इंडिया गठबंधन के नेताओं का कहना है कि अंतिम चरण की कई सीटों पर बूथवार वोटबैंक सहेजना शुरू किया तो स्थिति चौंकाने वाली मिली है। कई बूथों पर पहले की अपेक्षा मतदाता सूची में वोट कम मिल रहे हैं। ऐसे में इन बूथों के लिए अलग से रणनीति बनाई गई है। इन बूथों पर स्थानीय कमेटी के साथ ही जिला व प्रदेश स्तरीय नेताओं को लगाया गया है। वे एक-एक वोट को बूथ पर लाने का कार्य करेंगे। भीषण गर्मी को देखते हुए कुछ स्थानों पर मतदाताओं को गांव से बूथ तक लाने की सुविधा भी देने की तैयारी है। इसके पीछे तर्क है कि जिस बिरादरी का वोटबैंक खुले तौर पर साथ है, उसे हर हाल में बूथ तक पहुंचाया जाए।
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