January 21, 2025

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अनुप्रिया पटेल की चिट्ठी: मचा सियासी घमासान, कहीं ये कुर्मी वोट बैंक खिसकने की घबराहट तो नहीं?

अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने ओबीसी व एसटी के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती को लेकर बेअवसर सवाल उठाकर भले ही सियासी सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया है, लेकिन इसके पीछे कुर्मी वोट बैंट के खिसकने की घबराहट को एक बड़ी वजह माना जा रहा है। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि खुद को अपनी जाति का एकमात्र नेता मान चुकीं अनुप्रिया को इस बार लोकसभा चुनाव में कड़े संघर्ष में बमुश्किल जीत मिली थी, उससे वह काफी दबाव में हैं।

दरअसल, लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट पर अनुप्रिया को बड़ी मशक्कत और कड़े संघर्ष में जीत मिली थी, वहीं, राबर्टगंज सीट उनके हाथ से निकल गई। इसके अलावा अनुप्रिया द्वारा एक दर्जन से अधिक सीटों पर कुर्मी जाति का प्रभाव होने का दावा किया जा रहा है, उनमें से अधिकांश सीटों पर भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा है। भाजपा द्वारा परिणामों की समीक्षा में यह बात सामने आने के बाद से ही अनुप्रिया एनडीए में अपनी साख बचाने को लेकर परेशान थीं।

ये अलग बात है कि कुर्मी बहुल सीटों पर हार के बावजूद भी भाजपा नेतृत्व ने उनको न सिर्फ केंद्र में फिर से मंत्री बनाया, बल्कि उन्हें वह अहमियत भी दी है, जो पहले था।इसके बावजूद अनुप्रिया द्वारा ओबीसी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती पर सवाल उठाना भाजपा के लिए हैरानी का सबब बन गया है। अनुप्रिया के इस सियासी कदम का उन्हें आगे क्या फायदा होगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि उन्होंने इस मुद्दे को उछालकर अपनी बिरादरी पर कमजोर होती पकड़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश की है। वहीं, दूसरी ओर से अनुप्रिया के इस कदम को दबाव की राजनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि चुनाव परिणाम में कुर्मी वोट बैंक के खिसकने के बाद से ही अनुप्रिया को यह चिंता सताने लगी थी कि अगर एक बार वोट बैंक खिसका तो उसे दुबारा वापस पाना पार्टी के लिए कड़ी चुनौती होगी।इसलिए उन्होंने आरक्षित पदों पर भर्ती को लेकर सवाल उठाकर एक तरह से डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है।

हालांकि भर्ती आयोग के नियमावली के आधार पर अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी ने सरकार की ओर से अनुप्रिया के पत्र का जवाब भेजकर स्थिति को साफ कर दिया है। फिर भी उनके इस सियासी पैंतरे को लेकर चर्चा थम नहीं रही है। माना जा रहा है कि बिना सही तथ्यों से अवगत हुए ऐसा मुद्दा उठाना अनुप्रिया की बड़ी सियासी चूक है।

 

भाजपा भी पता कर रही है वजहें

Anupriya Patel's letter: There is political turmoil, is this Kurmi worried about losing the vote bank?
सूत्रों के मुताबिक भाजपा खेमा भी अब अनुप्रिया द्वारा पत्र लिखने के पीछे की वजहों की तलाश में जुटा गया है। दरअसल, भाजपा खेमे में इस बात की जोरदार चर्चा है कि अनुप्रिया ने यह कदम अनायास ही नहीं उठाया है। इसके पीछे किसी न किसी का हाथ जरूर है। वह हाथ किसका है, इसका पता लगाया जाएगा।

यह भी है वजह

यह भी माना जा रहा है लोकसभा चुनाव में चुनाव जीतने वाले दो मंत्रियों के स्थान पर प्रदेश मंत्रिमंडल में होने वाले विस्तार और एमएलसी के रिक्त पदों पर चुनाव को देखते हुए ही अनुप्रिया ने यह कदम उठाया है। जिससे प्रदेश सरकार पर दबाव बनाया जा सके। वह पहले से ही प्रदेश सरकार में अपने कोटे से एक और मंत्री बनाने का मुद्दा उठाती रही हैं।

लालजी वर्मा की वजह से भी बढ़ा दबाव

दरअसल, हाल में ही सपा सांसद और कुर्मी चेहरा लालजी वर्मा ने हाल में ही एसजीपीजीआई की भर्ती में ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था। एसजीपीजीआई में जिस डाॅ. सर्वेश कुमार चौधरी का मुद्दा उठा है, वह लालजी वर्मा के रिश्तेदार हैं। सोशल मीडिया पर वर्मा द्वारा उठाए गया यह मुद्दा गरम हुआ तो इससे अनुप्रिया पर भी दबाव बढ़ गया। माना जा रहा है कि उनको यह लगा कि कहीं इस मुद्दे के जरिए लालजी वर्मा कुर्मी बिरादरी में उनके लिए मुश्किल न खड़ी कर दें। लालजी वर्मा और अनुप्रिया एक ही बिरादरी की हैं। दोनों इस मुद्दे के जरिए बिरादरी का वोटबैंक अपने पाले में करने की जुगत में लगे हैं।