
गोंडा, 8 जुलाई 2025:
‘यूपी टाइगर’ के नाम से मशहूर, मनकापुर राजघराने के राजा आनंद सिंह का रविवार देर रात लखनऊ में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन ने गोंडा, बलरामपुर और पूरे अवध क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। सोमवार को मनकापुर कोट में उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब इस बात का साक्षी था कि वे केवल एक राजनेता या राजा नहीं, बल्कि जनता के दिलों के सच्चे शासक थे। उनके पुत्र, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और गोंडा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उन्हें मुखाग्नि दी।
एक शाही विरासत का प्रतीक
4 जनवरी 1939 को जन्मे राजा आनंद सिंह ने 1964 में 344 साल पुराने मनकापुर राजघराने की गद्दी संभाली। 1681 में कुंवर अजमत सिंह द्वारा स्थापित इस राजघराने को उन्होंने न केवल गौरवशाली बनाए रखा, बल्कि अपनी सादगी, बेबाकी और जनसेवा से इसे जन-जन के दिलों में बसाया। उनकी नेतृत्व शैली ऐसी थी कि वे राजा होकर भी आम आदमी के सबसे करीब थे।
सियासत का बेताज बादशाह
राजा आनंद सिंह का सियासी सफर 1971 में शुरू हुआ, जब उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर गोंडा लोकसभा सीट जीती। वे 1980, 1984 और 1989 में भी सांसद बने। 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गौरा विधानसभा सीट से जीतकर वे अखिलेश यादव सरकार में कृषि मंत्री बने। उनकी सियासी हैसियत ऐसी थी कि उनके समर्थन से कोई भी प्रत्याशी सांसद, विधायक या जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की गारंटी पा लेता था। उनके करीबी बताते हैं कि कांग्रेस के दौर में उन्हें ‘सादा सिंबल’ मिलता था, जो जीत का पर्याय था।
1991 में राम लहर के दौरान उन्हें भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह से हार का सामना करना पड़ा, और 1996 में उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह ने उन्हें हराया। इसके बाद उन्होंने संसदीय चुनावों से दूरी बनाई, लेकिन स्थानीय सियासत में उनका रुतबा अटल रहा। उनकी बेबाकी और नेतृत्व ने उन्हें ‘यूपी टाइगर’ की उपाधि दिलाई, जो पूर्वांचल की सियासत में एक मिसाल बन गई।
जनसेवा: उनका जीवन मंत्र
राजा आनंद सिंह का जीवन सियासत से कहीं बढ़कर था। उन्होंने गोंडा और बलरामपुर के विकास में ऐतिहासिक योगदान दिया। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कें और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उनके प्रयासों ने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया। उनकी सादगी का आलम यह था कि वे गांव की चौपाल पर बैठकर लोगों की समस्याएँ सुनते थे। मनकापुर कोट का उनका दरबार हर जरूरतमंद के लिए खुला रहता था।
उनके निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने शोक व्यक्त किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, “राजा आनंद सिंह का निधन अवध की सियासत और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्रीराम उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।” अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएँ हैं।” X पर एक पोस्ट में एक समर्थक ने लिखा, “माननीय श्री आनंद सिंह जी का जाना गोंडा के लिए एक युग का अंत है।”
अंतिम यात्रा: लाखों दिलों की विदाई
सोमवार को मनकापुर कोट में राजा आनंद सिंह का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। सुबह से ही कोट के बाहर श्रद्धांजलि देने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। दोपहर 3 बजे उनकी शव यात्रा निकली, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। यूपी सरकार के मंत्री दारा सिंह चौहान, अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद, और कई विधायक-सांसद मौजूद रहे। राजकीय सम्मान और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ। कीर्तिवर्धन सिंह ने अपने पिता को मुखाग्नि दी, और ‘यूपी टाइगर जिंदाबाद’ के नारों ने आकाश को गूंजायमान कर दिया।
अमर विरासत, अनंत प्रेरणा
राजा आनंद सिंह की विरासत उनके पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह के कंधों पर है, जो गोंडा से भाजपा सांसद और केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री हैं। कीर्तिवर्धन अपने पिता की जनसेवा और सादगी की मशाल को थामे हुए हैं। मनकापुर कोट आज भी अवध की सियासत और समाज का केंद्र है, और राजा आनंद सिंह की कहानी पीढ़ियों तक प्रेरणा देती रहेगी।
मनकापुर के एक बुजुर्ग समर्थक ने कहा, “राजा साहब हमारे लिए भगवान थे। उनके बिना मनकापुर अधूरा है।” एक युवा कार्यकर्ता ने भावुक होकर कहा, “उनकी सादगी और साहस हमें हमेशा रास्ता दिखाएंगे।” X पर एक पोस्ट में लिखा गया, “यूपी टाइगर की गर्जना हमेशा गूंजती रहेगी।”
रेहान रजा शाह-संपादक
More Stories
भावाजीतपुर में अन्नपूर्णा भवन का उद्घाटन, ग्रामीणों को मिलेंगी कई सुविधाएं
गोंडा: बालपुर शाखा मैनेजर के खिलाफ ग्रामीण सफाई कर्मचारियों का जोरदार धरना, कई मांगों के साथ ज्ञापन सौंपा
मिशन शक्ति 5.0: थाना खोड़ारे की टीम ने महिलाओं और बालिकाओं को किया जागरूक, साइबर सुरक्षा पर दिया जोर