
गोंडा, 18 अगस्त 2025
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में शनिवार दोपहर एक सनसनीखेज घटना ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया। जमीनी विवाद से त्रस्त 35 वर्षीय रामकिशुन ने कमिश्नर कार्यालय के पास स्थित पानी टंकी पर चढ़कर हाईवोल्टेज ड्रामा किया। टंकी पर चढ़ा युवक बार-बार अधिकारियों से हाथ जोड़कर चीख-चीखकर कहता रहा, “न्याय दिलाओ, वरना यहीं से कूद जाऊंगा।” इस घटना से कलेक्ट्रेट परिसर में हड़कंप मच गया और आसपास भीड़ जमा हो गई।
क्या है पूरा मामला?
कोतवाली देहात क्षेत्र के कर्नलगंज तहसील के खरगूपुर चांद गांव निवासी रामकिशुन ने बताया कि उनके सगे पटीदारों जयशंकर, चंदन और नन्हकू ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने घर के सामने की जमीन पर पिलर गाड़कर उनका आने-जाने का रास्ता भी बंद कर दिया। रामकिशुन का कहना है कि वह पिछले एक महीने से एसडीएम कर्नलगंज कार्यालय में शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार, हताश होकर उन्होंने सोमवार दोपहर करीब 12:20 बजे कलेक्ट्रेट परिसर के पास पानी टंकी पर चढ़ने का कदम उठाया।
एक घंटे तक चला ड्रामा
रामकिशुन के टंकी पर चढ़ते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। नगर कोतवाली पुलिस, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। युवक ने टंकी से कूदने की धमकी दी और अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई। करीब एक घंटे 10 मिनट तक चले इस हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद अतिरिक्त मजिस्ट्रेट और नगर कोतवाल ने कार्रवाई का भरोसा देकर रामकिशुन को दोपहर 1:30 बजे किसी तरह नीचे उतारा।
पीड़ित का आरोप: “न्याय के लिए भटक रहा हूं”
रामकिशुन ने बताया कि वह पिछले एक महीने में 4-5 बार एसडीएम कर्नलगंज को लिखित शिकायत दे चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, “मेरे पटीदारों ने मेरी जमीन पर कब्जा कर लिया और रास्ता बंद कर दिया। मैं न्याय के लिए दर-दर भटक रहा हूं। आखिरकार, मजबूरी में मुझे टंकी पर चढ़ना पड़ा।”
अधिकारियों का बयान
अतिरिक्त मजिस्ट्रेट और नगर कोतवाल ने बताया कि रामकिशुन से लिखित शिकायत ली जा रही है। मामले की जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि पीड़ित को न्याय जरूर मिलेगा।
जमीनी विवादों का बढ़ता ग्राफ
यह घटना गोंडा में जमीनी विवादों की गंभीरता को उजागर करती है। प्रशासन की लापरवाही और समय पर कार्रवाई न होने से आम लोग इस तरह के कठोर कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं कि आखिर जमीनी विवादों के निपटारे में इतनी देरी क्यों हो रही है?
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