July 27, 2024

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बेटों की अर्थी कंधों परबोझ से बैठा दिल, शव के पीछे दौड़ी मां बोली- मुझे भी साथ ले चलो

अयोध्या में सरयू नदी में स्नान के दौरान डूबे बर्रा, विश्व बैंक निवासी रवि, हर्षित व प्रांशु की सोमवार सुबह एक साथ अर्थियां उठीं, तो पूरा इलाका परिजनों की चीत्कार से गूंज उठा। वहीं, जवान बेटों की अर्थियों को कंधा देने वाले उनके पिताओं की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। जिगर के टुकड़ों की अर्थियां उठाने वाले पिताओं का दिल बैठा जा रहा था।

उनकी हालत देख उन्हें ढांढ़स बंधाने वालों की आंखें भी नम हो गईं। तीनों शवों का अंतिम संस्कार भैरो घाट पर एक साथ किया गया।  बता दें, बर्रा विश्वबैंक आई ब्लॉक निवासी हर्षित, शुभम उर्फ रवि, अध्ययन उर्फ प्रांशु अपने तीन अन्य साथियों अमन शर्मा, कृष्णा सहगल व तनिष्क पाल के साथ शनिवार सुबह अयोध्या रामलला के दर्शन करने गए थे।  रविवार सुबह सरयू नदी में स्नान के दौरान रवि का पैर फिसल गया।

उसे डूबने से बचाने के लिए प्रांशु व हर्षित आगे बढ़े लेकिन खुद को संभाल नहीं सके। तीनों की नदी में डूबने से मौत हो गई थी। बाकी तीनों को आसपास मौजूद लोगों ने बचा लिया था। रविवार रात करीब 11 बजे तीनों के शव घर पहुंचे थे। अंतिम यात्रा के दौरान पार्षद अंकित यादव, संतोष साहू, सतीश यादव, धीरेंद्र सिंह, अभय शुक्ला आदि भी मौजूद रहे।

साथ ले चलो, किसके सहारे जिंदा रहूंगी
सुबह जब तीनों के शव एक साथ उठे, तो बच्चों की मां शवों के पीछे दौड़ पड़ीं। इकलौते बेटे हर्षित की मौत पर रोते हुए मां अनीता देवी अपनी तीन बेटियों से बोलीं, मुझे भी ले चलो उसके साथ। अब किसके सहारे जिंदा रहूंगी। इस दौरान हर्षित के पिता ललित नारायण ने उन्हें संभाला और बेटियों की जिम्मेदारी का हवाला दिया।

पिता बोले- जो मुझे कांधा देता, आज उसकी अर्थी को कांधा देना पड़ रहा
वहीं, मृतक प्रांशु की मां अनीता सिंह चौहान बेटे की आखिरी झलक के लिए पीछे दौड़ती हुई बेसुध होकर गिर पड़ीं। आसपास की महिलाओं ने सहारा देकर उन्हें किनारे बैठाया। मृतक रवि की अर्थी को कंधा देने से पहले रुंधे गले से पिता मोहन मिश्रा बोले कि जो मुझे कांधा देता, आज उसी की अर्थी को कांधा देना पड़ रहा है।

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