April 27, 2024

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भागोभागो’ दे रहा था सुनाई, पांच सेकेंड न भागते तो होतीं और मौतें, मजदूर बोले- लगा विस्फोट हुआ

महोबा जिले में पहरा पहाड़ में ब्लास्टिंग के लिए छेद करते समय 200 फीट की ऊंचाई से भारी मात्रा में गिरे मलबे से ऐसा धमाका हुआ, मानो कोई विस्फोट हो गया हो। घटना के समय 14 श्रमिक काम कर रहे थे। जो एक-दूसरे को भागो-भागो की आवाज लगाते रहे।

प्रत्यक्षदर्शी श्रमिकों ने बताया कि पहाड़ में छेद करते समय ऊपरी हिस्से में अचानक दरार आई और मलबा भरभराकर गिर गया। कुछ समय उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। वह घटनास्थल से भागे। यदि पांच सेकंड देर हो जाती, तो वह भी मलबे में दब जाते। चार लोगों के बेहद करीब होने के चलते वह नहीं भाग सके और मलबे में दबकर उनकी मौत हो गई।

 

पहरा पहाड़ में मंगलवार की दोपहर पोकलैंड चालक कैलाश, हैल्पर कुलदीप के साथ कुल 14 श्रमिक काम कर रहे थे। गहरी खदान में ब्लास्टिंग के लिए ड्रिल मशीन से छेद किए जा रहे थे। तभी ऊपर की मिट्टी के साथ पत्थर गिरे। जिससे राममिलन, रामफूल, कुलदीप व प्रेमचंद्र की मौत हो गई।

50 मीटर तक धूल का गुबार नजर आया
किसी तरह जान बचाकर भागे श्रमिक रामसेवक, नीरज, छोटेलाल, मंगल कुशवाहा, छुटवा, लल्लू, अखिलेश अहिरवार ने बताया कि जिस समय हादसा हुआ, कुछ देर के लिए चारों ओर अंधेरा छा गया। 50 मीटर तक धूल का गुबार नजर आया। जैसे ही मलबा गिरा, तो सभी लोग 50 मीटर के दायरे के अंदर काम कर रहे थे।

चार लोगों की मौत से पूरे गांव में मचा कोहराम
मलबा गिरते ही एक-दूसरे से भागने की आवाज लगाई। यदि चंद सेकंड और न भागते तो वह भी मलबे की चपेट में आ जाते। हादसे में एक साथ चार लोगों की मौत से पूरे गांव में कोहराम मच गया। हर कोई पहाड़ की ओर दौड़ा चला आया। पहाड़ में गहराई होने के चलते अधिकांश लोगों को पुलिस ने अंदर नहीं जाने दिया।

शादी की खुशियां मातम में बदल गईं
मृतक रामफूल अहिरवार के पिता चुन्नू ने बताया कि डेढ़ माह बाद 24 अप्रैल को उसकी बेटी विनीता की शादी है। जिसकी तैयारियां चल रहीं थीं लेकिन बेटे की मौत हो जाने से अब शादी की खुशियां मातम में बदल गई हैं। बेटा मेहनत-मजदूरी करके परिवार चलाता था। अब बच्चों की परवरिश कैसे होगी।

अब पढ़ाई व भरण-पोषण की समस्या
मृतक राममिलन कुशवाहा की पत्नी रेखा घटनास्थल पर दहाड़े मारकर रोती रही। परिवार के सदस्य उसे ढ़ाढंस बंधाते नजर आए। रेखा का कहना था कि पति की मौत के बाद बड़ी बेटी आकांक्षा के हाथ पीले कैसे होंगे और बच्चों की पढ़ाई व भरण-पोषण की समस्या पैदा हो जाएगी। अधिकारियों ने उसे हर संभव मदद का भरोसा दिया।

नियम व मानकों का नहीं किया जाता पालन
खनिज नियमावली के अनुसार पहाड़ों में खनन कार्य जल स्तर से कम गहराई तक होना चाहिए। यहां 200 से 300 फीट गहरी खदानों में खनन कार्य चल रहा है। पहाड़ों में खनन कार्य करने वाले श्रमिकों के सिर पर हेलमेट, कमर में सुरक्षा बेल्ट, पैरों में फुल जूते और ब्लास्टिंग का कार्य प्रशिक्षित श्रमिकों से कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन नियम व मानकों का पालन नहीं किया जाता। इससे हादसे हो रहे हैं।

मुआवजे के रूप में लगाई जाती है रुपयों की बोली
पट्टाधारकों की लापरवाही से आए दिन मजदूरों की मौत हो जाती है। पट्टाधारक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इसका मुख्य कारण खनन कार्य के दौरान मजदूरों की मौत होने पर परिजनों को मुआवजे के रूप में रुपयों की बोली लगाई जाती है। मृतक के परिजनों को दस से 15 लाख रुपये देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता। दबाव के चलते गरीब श्रमिकों की आवाज दब जाती है। मंगलवार को भी हुई घटना में प्रत्येक मृतक के परिजनों को 14 से 16 लाख रुपये दिए जाने के लिए प्रयास चलते रहे। देर शाम तक किसी ने भी थाने में तहरीर नहीं दी।

ब्लास्टिंग के लिए छेद करते समय धसक गया था पहाड़
पत्थरमंडी कबरई के पहरा पहाड़ में ब्लास्टिंग के लिए छेद करते समय पहाड़ के ऊपर का एक हिस्सा धसकने से चार श्रमिकों की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि दो श्रमिक घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया। सूचना पर एडीजी प्रयागराज, मंडलायुक्त, डीआईजी, डीएम, एसपी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। साढ़े चार घंटे तक चले रेस्क्यू के बाद सभी श्रमिकों के शव बाहर निकाले जा सके।

10 साल के लिए स्वीकृत हुआ था खनन का पट्टा
घटना के दौरान मृतकों के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। अधिकारियों ने पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई का भरोसा देते हुए शांत कराया। थाना कबरई के पहरा गांव में धनराज सिंह के नाम पत्थर खनन का पट्टा है, जो वर्ष 2019 में 10 साल के लिए स्वीकृत हुआ था। मंगलवार दोपहर करीब एक बजे पहाड़ पर ब्लास्टिंग के लिए छेद करने का काम चल रहा था।

अन्य श्रमिक कुछ दूरी पर होने के चलते बाल-बाल बचे
दो मजदूर मशीन से छेद कर रहे थे, जबकि नीचे ट्रैक्टर और पोकलैंड मशीनों से कुछ श्रमिक पत्थर भर रहे थे। तभी अचानक 200 फीट गहरे पहाड़ का ऊपरी हिस्सा धसक गया। मिट्टी के साथ पत्थर गिरने से छह श्रमिक मलबे में दब गए। अन्य श्रमिक कुछ दूरी पर होने के चलते बाल-बाल बच गए। मलबे में तीन ट्रैक्टर व दो जेसीबी भी दब गई। घटना के बाद चीख-पुकार मच गई।

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