September 20, 2025

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मुस्लिम युवाओं के खिलाफ FIR को लेकर विरोध तेज, ‘आई लव मोहम्मद’ लिखना अपराध नहीं: आशिक-ए-मुस्तफा

मनकापुर, गोण्डा (अतीक राईन)

 

कानपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ साइन बोर्ड लगाने के मामले में मुस्लिम युवाओं के खिलाफ दर्ज FIR को लेकर विरोध का सिलसिला जारी है। मनकापुर में जामा मस्जिद गेट के सामने आशिक-ए-मुस्तफा ने तख्ती पर ‘आई लव मोहम्मद’ लिखकर विरोध दर्ज किया और कानपुर के मुस्लिम युवाओं के समर्थन में पूरे भारत के मुस्लिम समुदाय के एकजुट होने का संदेश दिया।

 

जानकारी के अनुसार, कानपुर में बारह रबी उल अव्वल से एक दिन पहले रौशनी में ‘I LOVE MOHAMMAD’ का साइन बोर्ड लगाया गया था, जिसे लेकर दक्षिणपंथी संगठनों ने आपत्ति जताई। अगले दिन जुलूस के दौरान कथित तौर पर धार्मिक पोस्टर फाड़े जाने के मामले में रावतपुर पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के दो दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की। इस कार्रवाई के खिलाफ मुस्लिम संगठन लगातार विरोध जता रहे हैं।

 

संविधान के अधिकारों का उल्लंघन

बरेली शरीफ दरगाह के संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन खान ने इस FIR को भारतीय संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘आई लव मोहम्मद’ लिखना किसी भी तरह से अपराध नहीं है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है, जो लोकतंत्र की आत्मा है।

 

मोहम्मद अतीक ने कहा, “पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब से मोहब्बत जताना हमारी आस्था और सम्मान की अभिव्यक्ति है। इसे अपराध की श्रेणी में रखना गलत है।” शाहिद अख्तर ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, और पैगंबर से प्रेम जताना इसी का हिस्सा है। उन्होंने अनुच्छेद 25 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जबकि अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला

अनीस राईनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लोकतंत्र की आत्मा बता चुका है। उन्होंने इस तरह की कार्रवाइयों को गलत ठहराया। शाहिद सब्बाग, राज अंसारी, शाहनवाज, मुस्तकीम राईन, शाहबाज राईन, अनस, हमजा, अब्दुल्लाह और डॉ. मोहसिन सहित दर्जनों लोगों ने एकजुट होकर FIR वापस लेने और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की मांग की।

 

मुस्लिम संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि यह कार्रवाई वापस नहीं ली गई, तो विरोध और तेज किया जाएगा। इस मुद्दे ने धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर व्यापक बहस छेड़ दी है।