April 28, 2024

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यूपी की जेल आते ही आया बीमारियों की चपेट में, हर दिन की प्रदेश से बाहर जेल में भेजने की मांग

कभी जिसके नाम से गुंडे माफिया और बिल्डर्स भी कांपा करते थे, किसी ने नहीं सोचा था कि कभी वह माफिया भी खौफ के साए में जिंदगी बिताएगा। कुछ ऐसा ही हाल था पूरब के डॉन कहे जाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी का, जिसकी मौत हुई तो बीमारी की वजह से लेकिन उसके पीछे कानून का खौफ भी शामिल था, जो उसको उसके गुनाह याद कर रहा था। जब से मुख्तार पंजाब से बांदा जेल आया था, शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो, जब उसने यूपी की जेल से दूसरी जेल भेजे जाने की इच्छा न की हो।

यही वजह थी कि कब वह ब्लड प्रेशर, शुगर और पेट की बीमारी की गिरफ्त में आ गया, उसे खुद ही नहीं पता चला। इसके अलावा उसे लगातार दो तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं, जिस दिन से प्रदेश में अतीक और उसके भाई की हत्या हुई है, तभी से मुख्तार के दिल में कानून और मौत खौफ और पैदा हो गया था। यही वह हालात थे कि जेल में उसका एक-एक दिन एक-एक साल के बराबर बीत रहा था। आखिर में वह घड़ी भी आ गई, जब खौफ ही उसकी मौत बन गई और उसकी धड़कनों ने साथ छोड़ दिया।

भाई और बेटे ने दो दिन पहले जताई थी आशंका

दो दिन पहले जब मुख्तार की हालत बिगड़ने पर उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी उसे भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रसासन पर गंभीर आरोप लगाए था। अफजाल ने तो यह तक कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। इस बार भी 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। वहीं बेटे उमर ने भी प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था।

आज होनी थी आरोप से डिस्चार्ज किए जाने के आवेदन पर सुनवाई

बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत के कारण शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) की अदालत में उससे संबंधित एक अन्य मामले में अब सुनवाई नहीं हो सकेगी। यह मामला गाजीपुर जिले से ही जुड़ा रहा। यह मुकदमा दो असलहों का लाइसेंस निरस्त होने के बाद उसे जमा नहीं करने पर दर्ज किया गया था। इसमें वह असलहा भी शामिल है, जिसे लेकर बीते दिनों इसी अदालत ने फर्जी तरीके से साजिश रचकर लाइसेंस लेने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा मुख्तार को सुनाई थी। इन दोनों मामलों को हाईकोर्ट के आदेश पर बनारस में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किया गया था। इस मामले में मुख्तार की तरफ से आरोप से डिस्चार्ज किए जाने के आवेदन पर सुनवाई होनी थी।

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