May 6, 2024

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10 फीसदी तक बढ़ा आयु सीमा कम होने से युवाओं का मतदान, 80 का दशक 18 साल के युवाओं को कर गया सशक्त

आजादी के बाद 80 के दशक में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए पांच महत्वपूर्ण संशोधनों पर मुहर लगी। संविधान संशोधन अधिनियम, 1989 के बाद पहली बार 18 साल के युवाओं को मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ। इससे पहले 21 साल वाले ही मतदान कर सकते थे।

चुनाव कार्यों में लगे कर्मियों को भी वोट डालने सहित कई स्थायी अधिकार प्राप्त हुए। सरकार ने भी संविधान संशोधन किए। मतदान में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने संविधान के 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 के तहत अनुच्छेद 326 में संशोधन कर मतदान करने की आयु घटाकर 18 वर्ष कर दी।

इससे युवाओं के मतदान में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी बाहरी जिलों में ड्यूटी के लिए जाते हैं। 1990 से पहले इनको आयोग के अधीन माना जाता था। इस संशोधन से चुनाव कार्यों में लगे अधिकारियों व कर्मचारियों को चुनाव की अवधि के दौरान आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाने लगा। इसके साथ ही उन्हें मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ।

इसलिए महसूस हुई जरूरत
लोग अक्सर राजनीतिक प्रणाली को वर्तमान हालात के लिए दोषी करार देते हैं, लेकिन क्या यह प्रणाली भाव-शून्यता में काम कर रही है? इस सवाल पर जानकारों का कहना है कि इस समस्या में समाज की भी स्पष्ट भागीदारी है। हमारी राजनीतिक प्रणाली का व्यवहार समाज के प्रति उनकी प्रतिक्रिया है। इसे सुधारने के लिए समाज व उसके तंत्रों में सुधार की जरूरत है। यहीं से चुनावी सुधार महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इसके लिए समय-समय पर चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए संविधान में संशोधन किए गए।
ये प्रमुख संशोधन किए गए
संविधान के 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 के तहत अनुच्छेद 326 में संशोधन कर मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई।
चुनाव कार्यों में लगे अधिकारी, कर्मचारियों को आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाने लगा।
नामांकन पत्रों को लेकर प्रस्तावकों की संख्या में 10 फीसदी का इजाफा किया गया।
राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 का अपमान करने पर 6 साल चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा।

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