
- बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल,डॉक्टर नदारद,शौचालय बना दवा कक्ष
- पीएचसी में न मरीजों के बैठने की व्यवस्था है,ना ही समय से मिल रही दवाएं
- तीन साल से कोई डॉक्टर तैनात नहीं,सफाई व्यवस्था बदहाल और अस्पताल की इमारतें जर्जर हालत में
- अस्पताल परिसर में झाड़ियां और कूड़े के ढेर और गंदगी की भरमार
कर्नलगंज (गोंडा)।
तहसील क्षेत्र के हलधरमऊ ब्लॉक अन्तर्गत बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) अपनी बदहाली और बदइंतजामी की कहानी खुद बयां कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की तमाम स्वास्थ्य योजनाओं और दावों को यह पीएचसी ठेंगा दिखा रहा है। ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवा के लिए बने इस केंद्र पर न तो डॉक्टर मौजूद हैं और न ही मरीजों के बैठने या इलाज की कोई समुचित व्यवस्था है।
पत्रकारों की पड़ताल में सामने आया कि अस्पताल की चहारदीवारी टूटी पड़ी है,बिल्डिंग के मुख्य द्वार सहित दरवाजे-खिड़कियां क्षतिग्रस्त हैं और अस्पताल के आवासीय कक्ष एवं चिकित्सकीय कक्षों को सार्वजनिक शौचालय में तब्दील कर दिया गया है। परिसर में चारों ओर झाड़ियां,कूड़े के ढेर और जलजमाव से गंदगी का आलम है। इस कारण परिसर मच्छरों का गढ़ बन गया है, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। मिली जानकारी के अनुसार,यहां तैनात चिकित्सक डॉ. अतुल कुमार पाल तीन साल पूर्व अध्ययन अवकाश पर गए थे और उनके स्थान पर अब तक कोई स्थायी चिकित्सक नहीं भेजा गया।
वर्तमान में नाममात्र के लिए लैब टेक्नीशियन नागेंद्र कुमार, एएनएम साधना विश्वकर्मा, वार्ड ब्वॉय धर्मेंद्र कुमार और आयुष चिकित्सक डॉ. अवसाफ लारी तैनात हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश कर्मचारी कभी-कभार ही आते हैं और केवल रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर चले जाते हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल में दवाएं समय से नहीं मिलतीं और मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। ग्रामीण अरुण तिवारी ने बताया कि सरकारी सुविधा के अभाव में उन्हें इलाज के लिए निजी क्लीनिकों में महंगी फीस चुकानी पड़ती है। वहीं अखिलेश शुक्ला ने कहा कि अस्पताल परिसर की गंदगी और जलभराव से मच्छरों की भरमार है,जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। अस्पताल तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद जर्जर है।
पगडंडी जैसी कच्ची सड़क में गड्ढे हैं,जिससे चारपहिया वाहन व एम्बुलेंस का आवागमन असंभव हो गया है। गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल ले जाना बड़ी चुनौती बन गया है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द अस्पताल की स्थिति में सुधार किया जाए, चिकित्सकों और अन्य स्टाफ की नियमित तैनाती हो, सफाई व्यवस्था सुदृढ़ की जाए तथा पीएचसी को पुनर्जीवित किया जाए।
इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक हलधरमऊ संत प्रताप वर्मा से संपर्क का प्रयास किया गया,लेकिन उनका फोन नेटवर्क से बाहर होने के कारण बात नहीं हो सकी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन को मजबूर होंगे।
More Stories
भावाजीतपुर में अन्नपूर्णा भवन का उद्घाटन, ग्रामीणों को मिलेंगी कई सुविधाएं
गोंडा: बालपुर शाखा मैनेजर के खिलाफ ग्रामीण सफाई कर्मचारियों का जोरदार धरना, कई मांगों के साथ ज्ञापन सौंपा
मिशन शक्ति 5.0: थाना खोड़ारे की टीम ने महिलाओं और बालिकाओं को किया जागरूक, साइबर सुरक्षा पर दिया जोर