गोरखपुर के धर्मशाला बाजार से लेकर शहीद बंधू सिंह पार्क तक प्रस्तावित विरासत गलियारा प्राचीन काल के मंदिरों और आजादी के मतवालों की शहादत के चिह्न भी समेटे हुए है। आर्यनगर चौराहे पर संचालित मंडी के जर्जर भवन के भीतर समाधि स्थल और शिव मंदिर की पिंडी मौजूद है। हालांकि, शहर के लोग इन चिह्नों से दस्तावेजीकरण नहीं होने से अनजान हैं।
1857 के पहले भी देश के मतवालों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। इन्हीं में से एक थे अमर शहीद सुरेंद्र सिंह। शहर के बाबू पुरुषोत्तम दास रईस के बेटे बाबू रेवती रमण दास की मानें तो शहीद सुरेंद्र सिंह और उनके साथ परिवार के दो सदस्यों को भी फांसी दी गई थी।
उनकी समाधिस्थल आज भी आर्यनगर तिराहे पर मौजूद है। उनका दावा है कि इन्हीं शहीदों की ओर स्थापित आर्यनगर के 11 शिवलिंग मूर्ति में से एक शिवलिंग की पिंडी भी समाधिस्थल के बगल में है।
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