गोरखपुर के पृथ्वी मंत्रालय के तहत 1875 में भारत सरकार द्वारा कोलकाता में स्थापित मौसम विज्ञान विभाग कार्यालय इस साल अपना 150 वां वर्ष मना रहा है। हालांकि गोरखपुर में मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 1974 में की गई थी। लेकिन गोरखपुर और आसपास के किसानों को जानकारी देने के लिए मौसम की जानकारी रेडियो पर आजादी से पूर्व वर्ष 1945 से प्रसारित किया जा रहा है।
पृथ्वी के वातावरण और एक-दूसरे से जुड़े लोगों के व्यवहार के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना के उपलक्ष्य में हर साल विश्व विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। गोरखपुर में मौसम विभाग की स्थापना वर्ष 1974 में की गई थी।
इसका कार्यालय गुमटी टोला नंदानगर में था। हालांकि रेडियो से मौसम की जानकारी का प्रसारण वर्ष 1945 से ऑल इंडिया रेडियो से किया जा रहा है। प्रादेशिक समाचार में गोरखपुर और आसपास जिले के मौसम का पूर्वानुमान प्रसारित किया जाता है। मंडलवार बाद में वर्ष 2008 में सिंघड़िया स्थित विभाग की निजी जमीन में बने भवन में स्थापित किया गया।
यहां मौसम विभाग में रेडियोसोंड व रेडियोविंड आब्जर्वेटरी से वायुमंडल में मौजूद तत्वों के घनत्व का आंकलन किया जाता है। इसके साथ आरएस व आरडब्लू बैलून संयत्र को हवा में उड़ाकर मौसम की जानकारी इकट्टा किया जाता है। रेन गेज से वर्षा की जानकारी मिलती है। सभी डाटा लखनऊ भेजा जाता है।
जिससे मौसम फोरकास्ट में सहयोग मिलता है। केंद्र के प्रभारी व मौसम वैज्ञानिक जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि रेडियो सोंड रेडियोविंड ऑब्जर्वेटरी से वायुमंडल में मौजूद तत्वों का घनत्व लेकर केंद्रीय मुख्यालय भेजा, जिससे मौसम का पूर्वानुमान आदि लगाया जाता है।
वायुमंडल में 38 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाता है बैलून
सहायक मौसम वैज्ञानिक अश्वनी प्रसाद ने बताया कि हर तीन घंटे के अंतराल पर मौसम का आंकलन किया जाता है। वहीं सुबह व शाम को बैलूल में हाइड्रोलन भर उसमें मौसम विभाग का उपकरण लगाकर छोड़ दिया जाता है। यह बैलून वायुमंडल में 38 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाता है। उपकरण से प्राप्त संदेश के आधार पर वायुमंडल में मौजूद पदार्थों के घनत्व का मापन किया जाता है।
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