October 18, 2025

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Gorakhpur News: नाबालिग से बलात्कार और मानव तस्करी में अब सजा-ए-मौत

गोरखपुर। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को लेकर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)-2023 में काफी सख्त कानून बनाए गए हैं। 18 वर्ष से कम के सभी बच्चों को नाबालिग श्रेणी में रखा गया है। नए कानून के तहत मानव तस्करी और नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषी को उम्रकैद या मृत्युदंड और जुर्माने का प्रावधान है। लड़कियों को बेचना या वेश्यावृति कराना भी गंभीर अपराध की श्रेणी में लाया गया है। वहीं बच्चों से काम कराना, मजदूरी कराना या अपराध में उनका इस्तेमाल करने पर भी आरोपियों को कारावास और अर्थदंड से दंडित किए जाने का प्रावधान है।

 

दुष्कर्म पीड़िता या बच्चे कहीं से भी किसी भी थाने पर वाट्सएप, ईमेल या मैसेज करके अपराध की सूचना दे सकते हैं। उस थाने की पुलिस संबंधित थाने को सूचित कर कार्रवाई करवाएगी। पुलिस को सूचना के आधार पर तीन दिन के अंदर एफआईआर लिखनी होगी। पीड़िता या बच्चे को बयान देने के लिए थाने आने की जरूरत भी नहीं होगी। वे जहां चाहेंगे पुलिस वहां जाकर उनका बयान रिकॉर्ड करेगी। दुष्कर्म के मामले में अब केवल 60 दिन में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करनी होगी। 90 दिन के अंदर पीड़िता को केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट के बारे में पुलिस को बताना होगा।

महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने होगा बयान


दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों की जांच महिला इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर को सौंपी जाएगी। पॉक्सो एक्ट के तहत नाबालिग से संबंधित अपराध की जांच की जिम्मेदारी भी महिला पुलिस अफसर को ही सौंपी जाएगी। साथ ही कोर्ट में भी पीड़िता का बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने ही कराया जाएगा। अगर वह नहीं मौजूद होंगी तब पुरुष न्यायिक मजिस्ट्रेट महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान कराएंगे।


शादी का झांसा देकर दुष्कर्म अब संज्ञेय अपराध


नए कानून में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का अपराध अब संज्ञेय अपराध की श्रेणी में कर दिया गया है। इसलिए पुलिस अब बगैर वारंट के ही आरोपी को गिरफ्तार कर सकेगी। हालांकि सजा का प्रावधान पहले की ही भांति 10 वर्ष तक और जुर्माने का है।


केस बीच में छोड़ने पर पीड़िता का बयान जरूरी


दुष्कर्म या अन्य किसी मामले में अगर पीड़िता आगे केस नहीं लड़ना चाहती है। तब केवल रजामंदी से काम नहीं चलेगा। फैसला देने से पहले कोर्ट में पीड़िता का बयान अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।

मुख्य बातें


0 पीड़िता को निशुल्क एफआईआर की एक कॉपी देनी होगी।
0 बच्चों से अपराध में दस वर्ष से लेकर मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है।
0 अब 18 वर्ष तक के बच्चों को एक श्रेणी में कर दिया गया। अब अलग—अलग नहीं इनके साथ अपराध में एक धारा लगाई जाएगी।
0 24 घंटे के अंदर दुष्कर्म पीड़िता का मेडिकल कराया जाना अनिवार्य है।
0 दो माह में दुष्कर्म की विवेचना पूरी करनी होगी।
0 नए अपराध में कुल 35 धारा महिलाओं और बच्चों के अपराध से निपटने के लिए बनाई गई हैं।
0 झूठे वादे करके यौन संबंध बनाने पर दोष सिद्ध होने पर 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है।

वर्जन
नए कानून में महिलाओं और बच्चों के साथ अपराध में सख्त कानून बनाए गए हैं। इसमे सजा के साथ ही मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया गया है। पीड़ित महिला को बयान देने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। घर जाकर पुलिस बयान रिकार्ड करेगी।
अंशिका वर्मा, सीओ क्राइम