गाजियाबाद में नकली दवाओं की बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया है। 14 वर्ष पहले लखनऊ और गोरखपुर में एक ब्रांडेड कंपनी की नकली इंजेक्शन की बड़ी खेप पकड़ी गई थी। आज भी नकली दवा के धंधे का जाल शहर से लेकर गांवों तक फैला हुआ है। हर महीने ढाई से तीन करोड़ रुपये की नकली दवाएं गोरखपुर से बिहार और पश्चिम बंगाल भेजी जा रही हैं।
चार साल पहले भी नशीली दवा के कारोबार का पर्दाफाश हुआ था। इसके बाद एक दुकान से बड़ी मात्रा में नकली दवाएं मिली थीं। गोरखपुर में करीब 25 से 30 करोड़ रुपये का दवा का कारोबार है। भलोटिया मार्केट, पूर्वांचल की दवा की सबसे बड़ी मंडी है।
यहां हर प्रकार और हर ब्रांड की दवाएं थोक भाव में मिलती हैं। यहां से गोरखपुर-बस्ती और आजमगढ़ मंडल तक दवाएं भेजी जाती हैं। इसके अलावा बिहार और पश्चिम बंगाल में भी यहां से दवाओं की आपूर्ति होती है। बीते जनवरी में शासन ने बड़े पैमाने पर प्रदेश के बाहर भेजे जा रहे कफ सीरप पर चिंता जताते हुए ऐसे मामलों में रोक का आदेश दिया था।
हर सप्ताह ऐसी दवाओं की रिपोर्ट भी ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय में दर्ज करानी थी, लेकिन यह सारी कवायद फाइलों में ही सिमट कर रह गई है। भालोटिया मार्केट से जुड़े सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2021 में एक दवा व्यापारी ने दूसरे प्रांत से नकली दवाओं की खेप मंगाई थी।
इस दवा को बिना बिल बाउचर के दूसरे दुकानदारों को बेच दिया गया, लेकिन किसी बात को लेकर इन दवाओं के एक खरीदार और विक्रेता के बीच विवाद हो गया, जिसमें 18 लाख रुपये फंस गए। मामला मीडिया तक पहुंचा तो प्रकरण की जांच शुरू हुई। इसी तरह आर्यनगर के दुकानदार के यहां छापा मारकर करीब आठ लाख रुपये की नकली दवाएं पकड़ी गईं, लेकिन इस मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
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