माह-ए-रमजान शुरू हो चुका है। इबादत में सभी मशगूल हो चुके हैं। जो घर पर हैं, वह घर या मस्जिद में इबादत कर ले रहे हैं, लेकिन जो घर में नहीं हैं, उनके लिए उनका मोबाइल फोन ही इबादत करने का सहारा बना है। खास तौर पर प्राइवेट नौकरी करने वाले युवा, जिन्हें इबादत करने के लिए अलग से कोई वक्त नहीं मिलता।
वह अपनी भागती-दौड़ती जिंदगी के खाली लम्हों में अपने मोबाइल के जरिए इबादत कर रहे हैं। इससे उनके काम पर भी प्रभाव नहीं पड़ रहा है, वहीं इबादत भी हो जा रही है। इससे वह रमजान में मिलने वाले 70 गुना सवाब से वह महरूम नहीं हो रहे हैं। बता दें कि कुरआन को रमजान माह में ही पैगंबर मोहम्मद साहब पर उतारा गया था।
अल्लाह की इबादत के लिए रमजान में कुरआन की तिलावत कसरत से की जाती है। इसके लिए कई एप बनाने वालों ने प्ले स्टोर पर कुरआन पाक की मोबाइल एप बना रखी है। गूगल प्ले स्टोर से इसको बिना किसी भुगतान के डाउनलोड किया जा सकता है।
इसकी खास बात यह है कि यह अरबी के साथ ही हिंदी, अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में भी मौजूद है। इतना ही नहीं कुरआन के कई भाषा में अनुवाद भी मौजूद हैं, जिन्हें एंड्रॉयड मोबाइल पर डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है। एमपी-3 में भी कुरआन मौजूद है, जिसे बिना डाउनलोड किए सुना भी जा सकता है।
एक तरफ जहां मोबाइल पर पढ़ने के लिए कुरआन के कई एप मौजूद हैं, वहीं दूसरी ओर पढ़ने के साथ ही इसे सुनने का भी मौका है। कुरआन की तिलावत करते हुए कई वीडियो भी हैं, जिन्हें पढ़ना नहीं आता है वह उसे सुनकर रमजान में सवाब कमा रहे हैं।
एक तरफ जहां पढ़ने के लिए ढेरों मोबाइल एप बनी हुई हैं, तो वहीं दूसरी ओर आजान, नमाज और सेहरी के साथ ही इफ्तार के लिए भी गूगल प्ले स्टोर पर एप की भरमार है। इन एप के जरिए लोगों को समय की जानकारी मिल जा रही है। जिससे उनकी सहरी भी वक्त पर हो जा रही है, वहीं नमाज भी नहीं छूट रही है। लोगों को मस्जिद में जमात के साथ नमाज पढ़ने का मौका भी मिल जा रहा है। थोड़ा रखना होगा ख्याल
मोबाइल पर कुरआन शरीफ पढ़ी जा सकती है। अगर मोबाइल में कुरआन पढ़ने जा रहे हैं तो यकीनन हाथ लगेगा ही, इसलिए इसे खोलने से पहले वजु जरूर कर लें तो बहुत बेहतर और कुरआन का यही अहतराम है। इसके अलावा एक बार उलेमा और मुफ्ती से राय ले ली जाए तो बेहतर होगा।
मुफ्ती अजहर शम्सी ने बताया
कि बहरहाल जो किताब से कुरआन पढ़ने की कैफियत होती है वह मोबाइल से हासिल नहीं होगी। कुरआन शरीफ को नापाक और बगैर वजु होने की स्थिति में नहीं छूना चाहिए, लेकिन अगर मोबाइल में कुरआन लोड कर लिया गया है और इसे टच किया जा रहा है, तो बेहतर होगा कि बावजू होकर इसे छुआ जाए। कुरआन शरीफ अगर मोबाइल स्क्रीन पर खुली हुई है, तो इस हालत में नापाक जगह जाने पर मोबाइल बाहर रखकर ही जाएं।
जाहिदाबाद के नेहाल अहमद
ने बताया कि मोबाइल ने काफी आसानी कर दी है। रास्ते में या कहीं खाली समय में कुरआन की तिलावत करना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब मोबाइल में ढेरों एप मौजूद हैं, जिसके जरिए आसानी से तिलावत की जा सकती है।
तुर्कमानपुर एडवोकेट तौहीद अहमद
ने बताया कि कुरआन की तिलावत करना जरूरी है। खाली वक्त होने के बाद भी पास कुरआन मजीद न होने से काफी परेशानी होती थी। मस्जिद या घर पहुंचने के बाद ही तिलावत हो पाती थी, लेकिन अब टेक्नोलॉजी से काफी राहत मिली है।
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