July 27, 2024

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अयोध्या से रामेश्वरम तक की पदयात्रा, एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य, जल-जंगल बचाने की कोशिश

उनकी दादी चार बार और नाना एक बार विधायक रहे। पिता ने भी राजनीति में भाग्य आजमाया लेकिन उन्होंने राजनीति को नहीं चुना। वह अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक हैं पर नौकरी को तवज्जो नहीं दी। वह भगवा पहनती हैं और धर्म व अध्यात्म की गहराई से बात करती हैं लेकिन सिर्फ मठ या मंदिरों के भ्रमण तक सीमित नहीं रहीं। उम्र 37 साल है और वह पीढ़ियों की चिंता करती हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता है घटते जल और कटते जंगल। उनकी चिंता है बेटियों की संस्कृति व संस्कार से बढ़ती दूरी। वह इसकी सिर्फ बात नहीं करती हैं। इसके लिए वह कई हजार किलोमीटर की पद यात्राएं कर चुकी हैं और एक करोड़ पौधे लगाने के संकल्प की सिद्धि में जुटने जा रही हैं।

हम बात कर रहे हैं बदायूं के दातागंज की शिप्रा पाठक की। उन्होंने हाल में अयोध्या से रामेश्वरम की 3,952 किमी की पद यात्रा पूरी की है। शिप्रा बताती हैं कि यात्रा का मुख्य मकसद राम के समय में जो जंगल व नदियां जिस दशा में थीं, उन्हें उसी दशा में फिर वापस लाना है। ये जंगल व नदियां ही इस बात की साक्षी हैं कि राम जी वहां से होकर निकले थे। गोदावरी के तट से ही समझ पाते हैं कि वहां राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास किया। सरयू के तट से ही हम समझ पा रहे हैं कि राम जी का चारों भाइयों के साथ वहां जन्म हुआ। जिस दिन ये नदियां नहीं रहेंगी, उस दिन इनकी प्रामाणिकता क्या रहेगी।

शिप्रा कहती हैं कि आज हमने अयोध्या में भले ही राम मंदिर बनाया है। रामलला वहां बैठे हैं, पर पास से बहने वाली सरयू में प्लास्टिक गिरेंगे, नाले गिरेंगे, दुर्गंध आएगी तो राममंदिर की शोभा क्या रहेगी? मंदिरों के साथ-साथ नदियां और जंगल भी विकसित होने जरूरी हैं। सरकार अपने प्रयास करें और नागरिक अपने प्रयास करें तभी बात बनेगी। हम नागरिक समाज को जागृत करने के लिए निकले हैं।

दूसरी बड़ी चिंता बेटियां…

शिप्रा कहती हैं कि बेटियां चांद पर पहुंचे लेकिन संस्कृति-संस्कार के साथ आगे बढ़े, यह बहुत जरूरी है। इस यात्रा का एक उद्देश्य यह भी था। वह कहती हैं कि आज की स्त्री अधिक शिक्षित, जागरूक व आधुनिक है। पर कहीं न कहीं संस्कृति व संस्कार से दूर हो रही हैं। बेटियों को यह समझाने की जरूरत है कि आप चांद पर भी पहुंच जाओ लेकिन अपनी मूल संस्कृति व संस्कार को अपना कर ही आगे बढ़ो। पहनावा, बातचीत व आचरण, सब भारतीय पद्धति के अनुरूप होना चाहिए।

महराज के सीएम बनने से बदला यूपी के प्रति नजरिया

शिप्रा कहती हैं कि इस यात्रा के दौरान व उससे इतर करीब 11-12 राज्यों तक आना-जाना हो रहा है। एक बात जो सबसे अहम नोटिस की, वह है यूपी के बारे में लोगों के सोचने का नजरिया। दूसरे राज्यों में यह पता चलने पर कि यूपी से आई हूं, लोग पूछते हैं कि राम मंदिर वाले योगी जी के यहां से आई हैं? कई जगह लोग योगी के कड़क प्रशासन और अनुशासन की तारीफ करते मिले। वह कहती हैं कि योगी की छवि किसी मठ के महंत और आम मुख्यमंत्री से हटकर उभरी है।

अभी 85 लाख पौधे और लगाने हैं

वह बताती हैं कि एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प है। हम अब तक 15 लाख पौधे लगा चुके हैं। अब 85 लाख पौधे लगाने का अभियान तेज करेंगी। हमारा प्रयास है कि नदियां प्लास्टिक मुक्त हों। नदियों के किनारे पौधरोपण हों ताकि नदी की कटान रोक पाएं। नदियों के पाट जो सिमट रहे हैं, वह चौड़े बने रहें।

15 नदियों के जल से किया रामेश्वरम भगवान का जलाभिषेक

शिप्रा बताती हैं कि पद यात्रा मार्ग में पड़ने वाली 15 प्रमुख नदियों सरयू, गंगा, यमुना,सरस्वती, मंदाकिनी, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, तुंगभद्रा, तमसा व वैगई से जल लेकर भगवान रामेश्वरम महादेव का अभिषेक किया।

जानिए यात्रा के बारे में 
– 27 नवंबर 2023 अयोध्या से पदयात्रा शुरू की। राम जानकी वनगमन पथ पर यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व कर्नाटक होते हुए तमिलनाडु के रामेश्वरम तक यात्रा की।
– 105 दिनों में यात्रा 11 मार्च को रामेश्वरम में संपन्न हुई।
– शिप्रा की दादी स्वर्गीय संतोष कुमारी पाठक दातागंज से चार बार विधायक रही हैं।
– शिप्रा के नाना त्रिवेणी सहाय एक बार विधायक रहे।
– पिता डॉ. शैलेश पाठक भी राजनीति में सक्रिय रहे।

तमिलनाडु में विवाद पर समर्थन में आए लोग

तमिलनाडु में विवाद से जुड़े सवाल पर शिप्रा कहती हैं कि मदुरई से रामेश्वरम के बीच कुछ लोगों को राम के नाम पर आपत्ति थी। उन्होंने गाड़ी पर हमला किया। उनका कहना था कि अगर राम के नाम पर यात्रा कर रही हैं तो यह राजनीतिक यात्रा है। इस पर हमने वहां स्पष्ट किया कि राम हमारे श्रद्धा के केंद्र हैं, राजनीति के नहीं। वहां जब लोगों को यात्रा का उद्देश्य पता चला तो वे भी हमारे समर्थन में खड़े हुए।

भागवत, गोविंद देव, रामदेव व चिदानंद मुनि का मिला समर्थन

शिप्रा बताती हैं कि पर्यावरण जैसे गंभीर विषय पर आगे बढ़ी तो तरह-तरह के विचार मन में थे। लेकिन यात्रा को आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत, सर कार्यवाह भैया जी जोशी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी, बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के चिदानंद मुनि, कैलाश मठ व बाघंबरी मठ के महंत सहित संत समाज का जगह-जगह आशीर्वाद और समर्थन मिला।

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