February 19, 2025

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Varanasi News: शाही नाले की सफाई के लिए खाली होंगे दुर्गाघाट के 8 घर, भेजा गया पत्र; जलकल करेगा ये काम

जाम हो चुके शाही नाले की सफाई के लिए दुर्गाघाट निवासी आठ भवन खाली होंगे। नाले पर बने इन भवनों की दीवारों में दरारें आ चुकी हैं। सफाई के दौरान इनके गिरने का खतरा मंडरा रहा है। इसे देखते हुए जलकल ने भवन स्वामियों को सफाई होने तक भवन खाली करने का पत्र भेजा

इनमें सागर, बृजलता शाह, शंकर लाल शाह, सत्य नारायण जसद, मिता मिश्रा, भगवती देवी, दुलारी देवी, शीमा अग्रवाल हैं। इन्हें जलकल के अधिशासी अभियंता की ओर से पत्र भेजा गया है।

दरअसल शाही नाले पर बने इन भवनों के आसपास के मोहल्लों में सीवर की समस्या है। जिसका समाधान करने के लिए कई बार अधिकारियों का निरीक्षण हो चुका है। पिछले दिनों सफाई के लिए सारे प्रयास फेल हो चुके हैं। इसके बाद फैसला लिया गया कि मैनुअल इसकी सफाई कराई जाएगी।

इसके बाद जलकल की ओर से पत्र भेजा गया। जलकल के अधिशासी अभियंता की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि इन भवनों के नीचे जा रहा नाला पूर्ण रूप से जाम है। जनहित में इसकी सफाई आवश्यक है। नाले के अंदर जाकर निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नाले के ऊपर रखी पटिया टूट चुकी हैं। इन भवनों के नींव की मिट्टी और ईंट आदि गिरने से नाला जाम हो चुका हैं।

नगर आयुक्त की ओर से इसकी सफाई करने का निर्देश दिया गया है। सफाई कराने के दौरान किसी प्रकार की जान माल की हानि न हो। इससे बचने के लिए इन भवनों को खाली किया जाना आवश्यक है। सफाई के दौरान किसी प्रकार दुर्घटना न होने पाए।

 

शाही नाले पर निर्भर है शहर की सीवर व्यवस्था
शहर की सीवर व्यवस्था सिर्फ शाही नाले पर ही निर्भर है। वो शाही नाला जिसे मुगलों ने सुरंग के रूप में विकसित किया था। बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने उसे सीवर व्यवस्था में तब्दील कर दिया। नाले की उम्र 200 साल से भी ज्यादा हो गई। जगह-जगह तोड़फोड़ कर लोगों ने अपनी सीवर लाइन जुड़वा ली है। नतीजा यह नाला भी जीर्ण-शीर्ण हो गया है।

पांच साल में पूरी कराई थी शाही नाले की सफाई
अगस्त 2015 में शाही नाले की मरम्मत और सफाई का टेंडर श्रीराम कंपनी को दिया गया। कंपनी ने जनवरी 2016 में काम शुरू किया। दिसंबर 2017 तक काम पूरा करना था। काम पूरा न होने पर समय सीमा बढ़ाकर मार्च 2018 कर दी गई। इसके बाद मियाद फिर जुलाई तक बढ़ाई गई मगर काम पूरा नहीं हुआ।

पांच बार मियाद बढ़ाई गई थी। 2020 में काम पूरा हुआ, लेकिन बहुत अधिक सफलता नहीं मिली। जेएनएनयूआरएम के तहत गिरिजाघर से लेकर चेतगंज तक सड़क की दोनों तरफ मोटी-मोटी पाइप लाइन बिछाई गई थी।

जेंस प्रिंसेप की डिजाइन की गई शाही नाले में 1982 में आई थी बाधा
मुगलों की ओर से बनवाई गई शाही सुरंग को शाही नाले में तब्दील अंग्रेजों ने किया था। शाही नाले की डिजाइन अंग्रेजों के समय टकसाल अधिकारी के रूप में 1820 में बनारस में नियुक्त किए गए जेम्स प्रिंसेप ने की थी। बनारस में मूलभूत सुविधाओं का सबसे पहला नक्शा जेम्स प्रिंसेप ने बनवाया।

उन्होंने सुरंग को जोड़तोड़ कर नाला बनाया। जो शाही नाले के रूप में मशहूर है। नाले को बनाने में लाखौरी ईंट और बरी मसाला प्रयोग किया गया। 1827 में जेम्स प्रिंसेप की कल्पना ने मूर्त रूप लिया। 1982 में शाही नाला में रुकावट के कारण बहाव बाधित हुआ था।

शाही नाले से जुड़ी लाइनें
  • गोदौलिया- यहां इस नाले से कमच्छा, लक्सा, लक्ष्मीकुंड, रामापुरा का सीवर लाइन का कनेक्शन जुड़ा है।
  • विशेश्वरगंज- यहां डीएवी काॅलेज, औसानगंज, दारानगर, आदमपुर, यमुना सिनेमा, हरतीरथ से आने वाली सीवर लाइन जुड़ी है।
  • नईसड़क- सुदामापुर, महमूरगंज, आकशवाणी, बैंक नगर कालोनी, सिगरा चौराहा होते हुए आशिक-माशूक की मजार, सिद्धगिरी बाग, सोनिया, औरंगाबाद, पुराना पान दरीबा, लल्लापुरा, पितरकुंडा, काली महाल, अलकुरैश मस्जिद, पनामा तिराहे से आने वाली सीवर लाइन जुड़ी है। इसी प्रकार गोविंदपुरा, दालमंडी, चाहमामा, घुघरानी गली का सीवर लाइन भी जुड़ी है।
  • मैदागिन- यहां चौक, बुलानाला, कर्णघंटा, गोला दीनानाथ, राजादरवाजा, काशीपुरा, नखास की सीवर लाइन मिलती है।

भाजपा पार्षद और महिला के बीच हुई थी मारपीट
बीते बुधवार को बिंदुमाधव वार्ड की भाजपा पार्षद कनकलता मिश्रा और क्षेत्र की महिला के बीच दुर्गाघाट के पास मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था। दरअसल यह मामला भी शाही नाले की सफाई से जुड़ा था। क्योंकि ब्रह्मचारिणी मंदिर के पास बीते कई दिनों से सीवर समस्या है। यहां पास में दुर्गाघाट के पास शाही नाला है। जो अक्सर जाम रहता है। जहां नगर आयुक्त ने निरीक्षण के बाद सफाई का निर्देश दिया था।

बोले अधिकारी
दुर्गाघाट के आठ भवन स्वामियों को पत्र भेजकर सूचित किया गया है कि नाला सफाई कार्य के दौरान कोई दुर्घटना न घटे। इसके लिए सीवर सफाई होने तक भवन खाली कर दें ताकि बेहतर ढंग से सफाई कराई जा सके। – विजय नारायण मौर्य, महाप्रबंधक जलकल